महिलाओं के लिए इज्तेमा और मुए मुबारक की जियारत संपन्न

जालना: ईद ए मिलादुन्नबी के उपलक्ष्य में जमात रजा ए मुस्तफा की ओर से  २६ सितंबर को बुºहाणनगर स्थित मदरसा अहले सुन्नत हसनिया लिलबनात में दोपहर  दोपहर 2:00 बजे से 5:00 तक इस्तेमा हुआ इस दौरान मुंए मुबारक की जियारत भी की गई. 

ईद ए मिलादुन्नबी को लेकर दो सप्ताह तक विविध मजहबी कार्यक्रम संपन्न

जालना: ईद ए मिलादुन्नबी के उपलक्ष्य में १७ सितंबर से १ अक्तुबर तक  जमात रजा ए मुस्तफा की ओर से विविध मजहबी कार्यक्रम संपन्न हुए. इस दौरान महिलाओं का इस्तेमा, पुरुषों के लिए जलसा ए आम के साथ ही १२ दिनों तक  विविध विषयों को लेकर बयान संपन्न हुए. 

पैगंबर मोहम्मद पूरी कायनात के लिए रहमत – अल्लाह बख्श

जालना: पैगंबर मुहम्मद (स अ) के आने से पहले पूरी दुनिया कुफ्र, शिर्क, गुमराहीयत और बडे बडे गुनाहों में जकड़ी हुई थी. यहां तक की दूर दूर तक अमन शांती नजर नही आती थी. औरतों का कोई मुकाम नही था. यहां तक के औरत को इतना बुरा समझा जाता था कि बाप अपनी बेटी को अपने हाथों से जिंदा दफन कर दिया करते थे. शराब नोशी पानी की तरह पायी जाती थी. जिना(बलात्कार) आम था, बेवा औरतों को बहुत गलत निगाह से देखा जाता था. इसके अलावा बेशुमार गुनाहों का दलदल बना हुआ था. ऐसे मौके पर अल्लाह ने पैगंबर मुहम्मद (सअ) को पूरी कायनात के लिए रहमत बनाकर भेजा.

ईद ए मिलाद को लेकर विविध उपक्रम 

जालना: २८ सितंबर को ईद ए मिलाद के उपलक्ष्य में पिछले सप्ताह भर से बुºहाण नगर स्थित हसनिया मस्जिद में हर दिन ईशा की नमाज के बाद विशेष बयान हो रहे है. २७ सितंबर तक चलने वाले इस आयोजन में नागरिकों को बडी संख्या में उपस्थित रहने का आह्वान काझी अल्लाह बख्श अमजदी ने किया है.

इस्तकबाल ए रमजान व इस्लाहे मुआशरा कॉन्फ्रेंस सोमवार को

जालना: जमात रजा ए मुस्तफा जालना शाखा द्वारा माहे रमजान के मौके पर जालना शहर में महिलाओं के लिए अजिमो शान इजतेमा बनाम जश्न ए इस्तकबाल ए रमजान व इस्लाहे मुआशरा कॉन्फ्रेंस का आयोजन २० मार्च सोमवार को सुबह ११.३० बजे से शाम ४ बजे तक पुराना जालना के दुखी नगर स्थित अक्सा फंक्शन हॉल  में आयोजित किया गया है. 

तालीम और तरबियत दोनों का होना जरूरी – जमील मौलाना

जालना: दीनी तालीम के साथ ही दुनियावी तालीम हासिल करना भी जरूरी है. इस्लाम में तालीम हासिल करने को सबसे अधिक महत्व दिया गया है. आज जो परेशानियों से समाज गुजर रहा है उसका कारण लोगों का दिनी तालीम से महरूम रहना ही है. परिवार के सदस्यों को चाहिए की वे भले आधी रोटी खाए लेकिन अपने बच्चों को बेहतरीन दीनी और दुनियावी तालीम देने की पूरी व्यवस्था करें.

शरियत की नाफरमानी करने से बचे ख्वातीने इस्लाम – रुकैय्या रजविया

जालना: इस्लाम में शौहर की फरमा बरदारी करने का हुक्म औरतों को दिया गया है. इसको लेकर पैगंबर मुहम्मद (सअ) ने बताया है की यदि अल्लाह के अलावा किसी को सजदा करना जायज होता तो मैं औरतों को हुक्म देता की वो अपने शौहर को सजदा करें. इस बात से यह पता चलता है की शोहर का मर्तबा कितना बड़ा है. इसलिए ख्वातीन इस्लाम को चाहिए की वे अपने शौहर का हुक्म मानने और शरीयत की नाफरमानी करने से बचें. नमाज इस्लाम का एक अहम रुक्न है. महिलाओं को चाहिए की नमाज अदा करने में किसी भी तरह की कोताही न बरते. 

मदरसा हसनिा लील बनात का पहला सालाना जलसा

जालना: जालना शहर के º हाणनगर में लड़कियों के लिए चलने वाले मदरसा अहले सुन्नत हसनिया लिल बनात का पहला सालाना जलसा २६ फरवरी को आयोजित किया गया है. इस उपलक्ष्य में महिलाओं के लिए इस्लाहे मुआशरा कॉन्फ्रेंस भी संपन्न होगा. 



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