अराफात के मैदान पर चिलचिलाती धूप में की इबादत

जालना: हज के लिए दुनिया भर से पहुंचे हाजियों के साथ ही मंगलवार को हज के दूसरे दिन जालना के हाजियों ने भी अराफात के मैदान पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हुए चिलचिलाती धूप में कभी खड़े होकर तो कभी बैठकर इबादत करते हुए अपने रब से गुनाहों की माफी मांगी.

हज यात्रा, करेंसी बदलने के लिए पैन कार्ड होगा अनिवार्य

Jalna: This year, many rules have been changed in Haj pilgrimage, in which now Hajis will not get 1500 riyals on reaching Saudi as before. They have to change currency from India itself. But for this PAN card will be necessary. Otherwise, you may have to face a lot of difficulties in changing the currency.

बेहयाई से निजात पाने के लिए दीनी तालीम जरूरी – मौलाना हसन

जालना: आज का यह दौर बेहयाई का दौर है तथा दीन से दूर होकर लोग भी नैतिकता भूल चूक है. आने वाली नस्लों को इस बेहयाई से बचाने तथा उन्हें नैतिक रूप से जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए जरुरी है की उन्हें स्कूली तालीम के साथ ही दीनी तालीम हासिल करने के लिए मदरसों में भेजा जाए. यह प्रतिपादन मौलाना हसन रमजानी ने किया. 

जिले से ४११ लोगों ने भरा हज यात्रा का फॉर्म

जालना: हज यात्रा को जाने के इच्छुक लोगों के लिए २० मार्च आवेदन का आखिरी दिन था.  जालना जिले से कुल ४११ इच्छुक ने फॉर्म भरा है. अब इनमें से कितने लोगों का  हज के लिए चयन होगा इसका पता मुंबई में रमजान के पहले अशरे में संपन्न होने वाले ड्रा के बाद ही पता चलेगा. 

हज यात्रा आवेदन प्रक्रिया १० दिन बढ़ाई गई

जालना: हज यात्रा आवेदन प्रक्रिया १० फरवरी से प्रारंभ हुई थी. १० मार्च को इसकी अंतिम तिथि थी लेकिन नागरिकों की मांग पर अब इसे बढ़ाकर २० मार्च कर दिया गया है. यह जानकारी राज्य हज कमेटी सदस्य फिरोजलाला तांबोली ने दी.

तालीम और तरबियत दोनों का होना जरूरी – जमील मौलाना

जालना: दीनी तालीम के साथ ही दुनियावी तालीम हासिल करना भी जरूरी है. इस्लाम में तालीम हासिल करने को सबसे अधिक महत्व दिया गया है. आज जो परेशानियों से समाज गुजर रहा है उसका कारण लोगों का दिनी तालीम से महरूम रहना ही है. परिवार के सदस्यों को चाहिए की वे भले आधी रोटी खाए लेकिन अपने बच्चों को बेहतरीन दीनी और दुनियावी तालीम देने की पूरी व्यवस्था करें.

शब-ए-बरात क्या हैं? (What is Shab-e-Barat)

शाबान इस्लामी साल का आठवां महीना है। शाबान का मतलब है जमा करना और अलग करना। अल्लाह के प्यारे रसूल फरमाते हैं, शाबान मेरा महीना है, रज्जब अल्लाह का महीना है और रमज़ान मेरी उम्मत का महीना है। शाबान गुनाहों को मिटाने वाला और रमज़ान पाक करने वाला महीना है।

ज़कात क्या हैं ?

कुरान मजीद में अल्लाह पाक ने 82 जगहों पर अपने बन्दों को ज़कात अदा करने की ताकीद फ़रमाई हैं। इतनी सख्त ताकीदो के बावजूद जो मुसलमान अपने माल की सालाना ज़कात अदा नहीं करते गोया वह 82 बार अपने रब की नाफरमानी करते हैं। शायद लोग यह सोच कर इतनी बड़ी नादानी करते हैं कि ज़कात देने से माल कम हो जाएगा यह उनकी बड़ी नादानी व भूल है ऐसा सोचना भी गुनाह है।

हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का इतिहास (ख्वाजा गरीब नवाज़) History of Hazrat Khwaja Moinuddin Chishti

हमारे ख्वाजा गरीब नवाज 14 रजब 536 हिजरी (1142 ईस्वी) को पीर (सोमवार) के दिन सिस्तान (ईरान देश का एक गांव) में पैदा हुए। कुछ विद्वान इनकी पैदाइश की तारीख और जन्म की जगह को अलग अलग बताते हैं। बहरहाल 9 साल की उम्र में आप हाफिज ए कुरान हो गए। ख्वाजा साहब की तालीम उनके घर पर ही हुई थी। विरासत में आपको एक छोटा सा बाग़ और एक पनचक्की मिली थी। हज़रत इब्राहिम कंदोजी से मुलाकात होने के बाद जब दिल की दुनिया बदली तो उसे बेच कर पैसा गरीबों में बांट दिया और खुद हक़ की तलाश में निकल पड़े।

मदरसे के सफल विद्यार्थियों को किया सम्मानित

जालना: जालना शहर स्थित दरगाह हजरत सैय्यद अहमद शेर सवार परिसर में चलने वाले  दारुल उलूम गुलशन-ए- कादरी अनवारे रजा  का सालाना इम्तिहान संपन्न हुआ. इसमें सफल विद्यार्थियों का दर्गा परिसर में बुधवार को विशेष रूप से सम्मान किया गया.

शरियत की नाफरमानी करने से बचे ख्वातीने इस्लाम – रुकैय्या रजविया

जालना: इस्लाम में शौहर की फरमा बरदारी करने का हुक्म औरतों को दिया गया है. इसको लेकर पैगंबर मुहम्मद (सअ) ने बताया है की यदि अल्लाह के अलावा किसी को सजदा करना जायज होता तो मैं औरतों को हुक्म देता की वो अपने शौहर को सजदा करें. इस बात से यह पता चलता है की शोहर का मर्तबा कितना बड़ा है. इसलिए ख्वातीन इस्लाम को चाहिए की वे अपने शौहर का हुक्म मानने और शरीयत की नाफरमानी करने से बचें. नमाज इस्लाम का एक अहम रुक्न है. महिलाओं को चाहिए की नमाज अदा करने में किसी भी तरह की कोताही न बरते. 

मौत और मैयत के बारे में कुछ ज़रूरी बाते

मोमिन का एहतराम बेहद ज़रूरी हैं, यहाँ तक की फ़र्ज़ हैं उसकी तौहीन करीब करीब कुफ्र हैं, इस्लाम इंसानियत की सारी खूबियां मोमिन में मौजूद होने की ताकीद करता हैं, जिस तरह ज़िन्दगी में मोमिन का अदब व एहतराम ज़रूरी हैं उसी तरह उसके इंतेक़ाल के बाद भी ज़रूरी हैं इसलिए अल्लाह के रसूल ने बड़े ही अदब व एहतराम के साथ मुर्दो को दफ़नाने का हुक्म दिया हैं और कब्रों के ऊपर चलने से मना फ़रमाया हैं।

हज यात्रियों को भारत से ही सऊदी रियाल ले जाना होगा

जालना: इस साल बनाई गई नई हज नीति के तहत केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने हज यात्रा में कई तरह के बदलाव किए है. इसी के तहत अब भारत से जाने वाले यात्रियों को पहले की तरह सऊदी अरब में २१०० रियाल नहीं मिलेंगे. बल्कि उन्हें भारत से ही कम से कम १५०० रियाल ले जाने होंगे. 

मदरसा हसनिा लील बनात का पहला सालाना जलसा

जालना: जालना शहर के º हाणनगर में लड़कियों के लिए चलने वाले मदरसा अहले सुन्नत हसनिया लिल बनात का पहला सालाना जलसा २६ फरवरी को आयोजित किया गया है. इस उपलक्ष्य में महिलाओं के लिए इस्लाहे मुआशरा कॉन्फ्रेंस भी संपन्न होगा. 

हलाल कमाई की बरकत (Prosperity of Halal Income)

मेहनत से कमाई करके अपने बाल बच्चों की परवरिश करना, घरवालों को मुहताजी से बचाना और खुद भी बचना बहुत बड़ी इबादत ही नहीं बल्कि इस्लाम के पांच रुक्नों के बाद सबसे बड़ी फ़र्ज़ इबादत है। कुरान व हदीस में इसके बारे में सख्त ताकीद आई है अल्लाह पाक फरमाता है, हमने तुम्हें जमीन पर रहने के लिए जगह दी और उसी में तुम्हारे लिए रोज़ी  बनाई (सूरह आराफ़) और सूरह हजर में फरमाया और हमने तुम्हारे लिए वहां रोज़ी के साधन बनाएं और उन्हें भी रोजी दी जिन को तुम खिला पिला नहीं सकते थे।  सूरह बकर में फरमाया- हज के मौके पर भी तुम्हें अपनी रोजी तलाश करने में कोई गुनाह नहीं।

जानिए हज़रत इमाम हुसैन की पूरी कहानी (Hazrat Imam Hussain Story in Hindi)

हज़रत इमाम हुसैन को इस्लाम में शहीद का दर्जा दिया गया हैं। उनकी शहादत की कहानी हर किसी को रुला सकती है। इमाम हुसैन की याद में ही मुहर्रम के महीने में उनकी शहादत को याद किया जाता हैं। हज़रत इमाम हुसैन मानवता प्यार और अहिंसा के प्रतिक थे। उनके कर्बला में शहीद होने की किस्से कई हदीसों में आये हैं। आज के इस आर्टिकल में हम हज़रत इमाम हुसैन के बारे में तफ्सील से जानेंगे। उनके जन्म, उनकी कहानी और कर्बला के किस्से को बताने की कोशिश करेंगे। 

इस्लामी महीनों के नाम और नामकरण के कारण

अरबों ने इस्लाम से पहले क़मरी महीनों यानी चन्द्रमास के नामों का इस्तेमाल किया है। वक्त गुजरने के साथ साथ अरब में कुछ नामों पर इत्तेफाक हो गया और यह नाम सारे अरब में इस्तेमाल किए जाने लगे। यहां तक कि पांचवी सदी ईसवी का वाकया पेश आया जो कि नबी करीम सल्लल्लाहो वसल्लम के पांचवे दादा कुलाब का जमाना है। याद रहे इन महीनों के नामकरण की वजहों का इस्लामी शरीयत से कोई ताल्लुक नहीं है। 

इमाम अहमद रज़ा खां फ़ाज़िले बरैलवी रहमतुल्लाह अलैह (आला हज़रत) की ज़िन्दगी

हमारे मुल्क हिंदुस्तान के बरैली शहर में 14 जून 1856 ईस्वी में सनीचर के दिन ज़ोहर के वक़्त हमारे आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां फ़ाज़िले बरैलवी रहमतुल्लाह अलैह पैदा हुए। जिन्होंने इस्लाम को एक नयी ज़िन्दगी बख्शी। उनके किरदार उनके इल्म उनकी किताबों को पढ़कर आप इस्लाम के रास्ते पर चल सकते हैं। आपने ऐसी खूबियां मौजूद थी की आपके सामने दुनिया की बातिल ताकतें भी मात खा गयी। 14 साल की उम्र में आपमें इल्म का ऐसा दरिया था की उस वक़्त के बड़े बड़े आलिमों ने आपके इल्म का लोहा माना। आपने अपनी किसी खिदमत का कभी पैसा नहीं माँगा और मांगते भी क्यों? वह तो अपने आका के ऐसे गुलाम थे की दीन को फैलाना ही उनकी ज़िन्दगी का मकसद था। आपकी इल्मी व अमली काबिलियत को देखकर उस वक़्त के मशहूर बुज़ुर्ग हज़रत वारिस अली शाह आपके लिए बोल पड़े इसका मर्तबा अपने वक़्त के आलिमो और वलियों में आला हैं फिर तो आप आला हज़रत बनकर ही दुनिया में चमके।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की कहानी और समंदर वाला वाक़्या

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के सबसे प्यारे नबियों में से एक नबी थे। उन्हें कलीमुल्लाह के नाम से उस वक़्त जाना जाता था। जिसका मतलब होता हैं अल्लाह से सीधे बात करना वाला। यानि की हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम में ऐसी करिश्माई ताकत थी की वो सीधे अल्लाह से बात कर सकते थे। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की कहानी का ज़िक्र कई हदीसों में आया है। आज हम कोशिश करेंगे की आप को ज़्यादा से ज़्यादा हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के बारे में बता सके।

सूरह रहमान पढ़ने के फायदे (Benefits of Surah Rahman)

सूरह रहमान क़ुरान मजीद की 55 वी सूरह हैं। यह सूरह क़ुरान के 27 वे पारे में मौजूद हैं। इस सूरह में 78 आयतें हैं। इस सूरह का पता मक्का में चला था तो इसे मक्की सूरह भी कहा जाता हैं। जैसे सूरह यासीन को क़ुरान का दिल कहा जाता हैं। वैसे ही इस सूरह को क़ुरान की दुल्हन भी कहा जाता हैं। सूरह रहमान में रहमान का मतलब दयालु होता हैं। सूरह रहमान बताता हैं की अल्लाह अपने बन्दों पर कितना मेहरबान रहता है अगर सूरह रहमान पढ़ा जाये तो अल्लाह अपने बन्दों के बड़े से बड़े गुनाहो को भी माफ़ कर देता हैं। 

सूरह यासीन क्या हैं? जानिए इसे पढ़ने के फायदों के बारे में

सूरह यासीन जिसे यासीन शरीफ भी कहा जाता है। ये क़ुरान की 36 वीं सूरह हैं सूरह यासीन में कुल 83 आयतें हैं। सूरह यासीन क़ुरान शरीफ की सबसे अफ़ज़ल सूरह में से एक सूरह हैं। सूरह यासीन को क़ुरान का दिल भी कहा जाता हैं क्यूंकि इस सूरह में इस्लाम से जुडी सारी ज़रूरी बातें जो इंसान को नेकी की रह पर ले जाती हैं और इंसान को गुनाहो से बचाती हैं वह शामिल हैं। 

शबे मेराज का वाकिया | Shab e Meraj ka waqia in Hindi

मेराज की घटना नबी (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) का एक महान चमत्कार है, और इस में आप (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) को अल्लाह ने विभिन्न निशानियों का जो अनुभव कराया यह भी अति महत्वपूर्ण है। मेराज के दो भाग हैं, प्रथम भाग को इसरा और दूसरे को मेराज कहा जाता है, लेकिन सार्वजनिक प्रयोग में दोनों ही को मेराज के नाम से याद कर लिया जाता है।

दरगाह हजरत गरीब शाह दातार का उर्स उत्साह के साथ संपन्न

जालना: जालना शहर के गरीब शाह बाजार स्थित हजरत गरीब शाह दातार (रअ) के उर्स के उपलक्ष्य में १३ और १४ फरवरी को विविध मजहबी कार्यक्रम उत्साह के साथ संपन्न हुए.

सलाहुद्दीन अय्यूबी कौन थे ? सलाहुद्दीन अय्यूबी का इतिहास

क्या आप जानते हैं कि इराक में पैदा होने वाले सलाहुद्दीन अय्यूबी ने ही बैतुलमुक़द्दस को फतह किया था। सलाहुद्दीन अय्यूबी ने ही दुनिया की सबसे आधुनिक सल्तनत की बुनियाद रखी थी। उनके जरिये स्थापित की गई अय्यूबी सल्तनत ने 100 सालों तक आधी दुनिया पर राज किया। इस सल्तनत की सरहदें मिश्र से लेकर सीरिया, तुर्की, यमन, हिजाज़ और अफ्रीका तक फैली हुई थी। 

مسجدھدایت الاسلام خانقاہ رحمانیہ(بسمﷲباغ٬مالیگاؤں)کی تعمیرجدیدکے

مقام مسرت ہےکہ آج مورخہ 23/جنوری2023ءبروزپیرکومسجدھدایت الاسلام خانقاہ رحمانیہ(بسمﷲباغ٬مالیگاؤں)کی تعمیرجدیدکےایک اہم مرحلے(بیسمینٹ کےکالمس کی بھرائی)کا آغاز حضرت مولانا مفتی محمد حسنین محفوظ نعمانی صاحب(قاضی شریعت دارالقضاء٬مالیگاؤں)کےدست مبارک سےہوا٬اس مبارک موقع پرحضرت مفتی صاحب نےمسجد و خانقاہ کی مکمل تعمیرکےلیے دعابھی فرمائی۔

हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम की बीमारी का किस्सा

हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम भी अल्लाह के नबियों में से एक नबी थे। हज़रत अयूब अलैहिस्सलाम पैग़म्बर हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के वंश से थे। हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम हज़रत इस्हाक़ अ़लैहिस्सलाम के बेटों में से एक बेटे थे। अल्लाह ने आप को माल ,दौलत और औलादों से से नवाज़ा था। हदीसों के मुताबिक आप के 7 बेटे और 7 बेटियां हुआ करती थी। 

अच्छी दीनी और इस्लामी बातों 

आज के आर्टिकल में हम कुछ और अच्छी दीनी और इस्लामी बातों पर नज़र डालेंगे इससे पहले भी हम एक आर्टिकल में कुछ दीनी और इस्लामी बातों को बता चुके हैं आज फिर हम कुछ और इस्लामी बातों के बारें में आप को बताएँगे। आपसे गुज़ारिश हैं की इन सब बातों पर आप गौर करे और जो बताया जा रहा हैं उसे अच्छे से पढ़े और समझे और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को बताएं। 

यह देश जितना प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस प्रमुख का है, उतना मेरा भी है: मौलाना महमूद मदनी

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने संगठन के 34वें महा अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत इस्लाम की जन्मस्थली और मुसलमानों का पहला वतन है. भारत हिंदी-मुसलमानों के लिए वतनी और दीनी, दोनों लिहाज़ से सबसे अच्छी जगह है.

कुरान के बारे में दिलचस्प जानकारियां

क़ुरान दुनिया की पहली आसमानी किताब है जो आज तक अपनी असल हालत में मौजूद है। कुरान इस्लाम धर्म के आखिरी सन्देष्टा और पैगंबर मोहम्मद साहब पर अवतरित हुआ। यह 30 खंडों में विभाजित है इसमें 114 सूरतें हैं। आइए जानते हैं कुरान से संबंधित कुछ दिलचस्प जानकारियों के बारे में

Patience (Sabr)***…And be patient and persevering, for Allah is with those who patiently persevere. ( Holy Qur’an, 8: 46)

Imam Ja’far al-Sadiq (a) said:
“Verily, Sabr is to faith what the head is to the body. The body perishes with­out the head, and so also when Sabr goes, faith also disappears.”[Al-Kulayni, al‑Kafi, vol. 2, bab al‑Sabr, p. 128, hadith # 2]

जालना में हज यात्रा के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना शुरू * खादीमीन हुज्जाज हज कमेटी का उपक्रम

खादीमीन हुज्जाज हज कमेटी द्वारा आज से हज यात्रा आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत की गई. इसके उद्घाटन अवसर पर फिरोजलाला तांबोली मार्गदर्शन कर रहे थे. इस समय कमेटी के अध्यक्ष अहमद बिन सईद चाऊस, राज मोहम्मद तांबोली आदि उपस्थित थे. 



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