शरियत की नाफरमानी करने से बचे ख्वातीने इस्लाम – रुकैय्या रजविया

* मदरसा हसनिया लील बनात का पहला सालाना जलसा संपन्न

*  इस्लाहे मुआशरा कॉन्फ्रेंस उत्साह के साथ संपन्न

जालना: इस्लाम में शौहर की फरमा बरदारी करने का हुक्म औरतों को दिया गया है. इसको लेकर पैगंबर मुहम्मद (सअ) ने बताया है की यदि अल्लाह के अलावा किसी को सजदा करना जायज होता तो मैं औरतों को हुक्म देता की वो अपने शौहर को सजदा करें. इस बात से यह पता चलता है की शोहर का मर्तबा कितना बड़ा है. इसलिए ख्वातीन इस्लाम को चाहिए की वे अपने शौहर का हुक्म मानने और शरीयत की नाफरमानी करने से बचें. नमाज इस्लाम का एक अहम रुक्न है. महिलाओं को चाहिए की नमाज अदा करने में किसी भी तरह की कोताही न बरते. 

यह प्रतिपादन आलीमा फाजीला रुकैय्या रजविया(अंबाजोगाई) ने किया. जालना शहर के बुºहाण नग२ में मदरसा अहले सुन्नत हसनिया लील बनात के पहले सालाना जलसे तथा इस्लाहे मुआशरा कॉन्फ्रेंस में वो प्रमुख वक्ता के रूप में बोल रही थी. कार्यक्रम की सदारत मरदसे की मोहल्लेमा नुरुन्नीसा रजविया ने की. प्रमुख मेहमान के रूप में मुंबई की इशरत फातिमा, अंबाजोगाई की हलीमा सादिया भी मौजूद थी. रविवार २६ फरवरी की सुबह १० बजे से शाम १० बजे तक संपन्न हुए इस कार्यक्रम में बडी संख्या में महिलाओं और छात्राओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. 

इस समय मुंबई की इशरत फातिमा ने आदाब ए जिंदगी और इल्म की अहमियत बताते हुए महिलाओं से गुजारिश की कि वे इल्मे दीन सीखे. मदरसा हसनिया लिल बनात में बच्चियों का दाखिला कराए ताकी वे इल्मे दीन सीख कर अपने ईमान और अखीदे की हिफाजत कर सके. 

फोटो: रविवार को संपन्न हुए मदरसा अहले सुन्नत हसनिया लील बनात के पहले सलाजा जलसे तथा इस्लाहे मुआशरा कॉन्फ्रेंस में बडी संख्या में महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी.

अंबाजोगाई की हलीमा सादिया ने सीरत ए इमाम ए आजम अबू हनिफा के मुताल्लिक बयान किया. उन्होंने कहा की इमाम ए आजम ने दुनिया को ठुकरा दिया और दीन की हिफाजत के लिए बहुत बड़ी कुर्बानी पेश फरमाई जिसे भुलाया नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि ईमान व अकीदे की हिफाजत करे और अल्लाह और उसके रसूल से सच्ची मोहब्बत करें. उन्होंने खातूने जन्नत हजरते फातेमा तुज जोहरा की जिंदगी पर अमल करने का दरस दिया. 

कार्यक्रम की शुरुआत मदरसे की छात्रा उरुज फातेमा द्वारा कुरान की तिलावत से की गई. इस समय छात्रा राहत अलफिया बागवान और उरूज फातिमा ने भी अपनी बात रखी. राबिया गौस, अनाबिया अतीक, अमरीन यूसुफ, इसलिहा अकरम, तहसीन अकसा, रुख्सार सुभान, आलिया सैयद जमीर ने नात व मनकबत पढा. कार्यक्रम का सूत्रसंचालन छात्रा सना कौसर ने किया. अंत में रुकैया रजविया की दुआ पर कार्यक्रम का समापन हुआ. 

कार्यक्रम के उपरांत लंगर ए इमाम ए आजम अबू हनिफा भी संपन्न हुआ. इस संपर्क उपक्रम को सफल बनाने के लिए जमात रजा ए मुस्तफा शाखा जालना और मदरसा कमेटी के सदस्यों के साथ ही मौलाना गुलाम नबी अमजदी, मौलाना अल्लाह बख्श, अतीक परसुवाले, गुलाम गौस, एड फारुख, साजिद बागवान, जमीर शेख, दस्तगीर शेख, इमरान मनियार, हाजी अब्दुल रउफ, मूसा परसुवाले, इब्राहीम परसुवाले, एड उमर, एड अलीम, हाफिज हुसैन, जावेद शेख सहित बुºहाणनगर के नौजवानों अहले सुन्नत ने परिश्रम किया.