इजराइल शांति का सबसे बड़ा दुश्मन है: प्रकाश अम्बेडकर
इजराइल शांति का सबसे बड़ा दुश्मन है: प्रकाश अम्बेडकर
Firefly In News
इजराइल शांति का सबसे बड़ा दुश्मन है: प्रकाश अम्बेडकर
*Tamam Muslim mumalik infradi taur par Israel ka boycott kareiñ – Alhaaj Muhammad Saeed Noori*_
मुस्लिम देशों की बैठक में पेश किए गए प्रस्तावों को तुरंत लागू किया जाए: मौलाना सैयद मोईन मियां
महिलाओं के लिए सुन्नी इज्तेमा
उर्स के मौके पर फिलिस्तीन के हक में सभी धर्म के लोग हुए एकजुट
मजलूम फ़िलिस्तीनियों के लिए की गईं दुआएं और यहूदिया और सऊदियो के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन
राज्य सरकार के लिए 2 माह की डेडलाइन; आखिरकार मनोज जरांगे की भूख हड़ताल खत्म
इस्लामी तारीख की एकमात्र महिला हाकिम के अल्फाज़ –
फिलिस्तीन का सम्पूर्ण इतिहास.
रविवार को महिलाओं के लिए सुन्नी इज्तेमा
*राष्ट्रपति भवन में जमाते इस्लामी हिंद के नायब अमीर जनाब सलीम इंजीनियर साहब की स्पीच..*
शेख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाह अलैह.
ज़मज़म के पानी का इतिहास, जमजम का कुआँ कहाँ है?
यूनुस बागवान का काम सभी के लिए प्रेरणादायक है- शेख महमूद
फ़ज़्र की नमाज़ का वक़्त और पढ़ने का तरीका
Magrib ki Namaz ki Ahmiyat)
इस्लाम में औरत की अहमियत (Importance of Women in Islam)
जानिए सूरह कौसर को पढ़ने के फायदे और इसके वज़ीफ़े के बारे में
मदनपुरा की सुन्नी बड़ी मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद मजलूम फिलिस्तीनीयों के लिए की गई विशेष दुआ
मोबाइल का गलत उपयोग दीन और दुनिया दोनों खराब कर रहा है – मौलाना नदीम सिद्दीकी
डॉक्टर और हाफिज बनने वालों का एक साथ किया सम्मान
मकतब के बच्चों ने एक से बढ़कर एक नात प्रस्तुत की
जमियते उलेमा हिंद द्वारा आज जालना शहर में ९ जगह कार्यक्रम
तहज्जुद की नमाज़ का तरीक़ा | Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika
जालना: चिश्तिया एज्युकेशन अॅण्ड वेलफेयर सोसायटी द्वारा संचालित इकरा उर्दू प्राइमरी स्कूल में २७ सितंबर को ईद ए मिलादुन्नबी के उपलक्ष्य में जलसा सीरतुन्नबी उत्साह के साथ संपन्न हुआ.
जालना: ईद ए मिलादुन्नबी के उपलक्ष्य में जमात रजा ए मुस्तफा की ओर से २६ सितंबर को बुºहाणनगर स्थित मदरसा अहले सुन्नत हसनिया लिलबनात में दोपहर दोपहर 2:00 बजे से 5:00 तक इस्तेमा हुआ इस दौरान मुंए मुबारक की जियारत भी की गई.
जालना: ईद ए मिलादुन्नबी के उपलक्ष्य में १७ सितंबर से १ अक्तुबर तक जमात रजा ए मुस्तफा की ओर से विविध मजहबी कार्यक्रम संपन्न हुए. इस दौरान महिलाओं का इस्तेमा, पुरुषों के लिए जलसा ए आम के साथ ही १२ दिनों तक विविध विषयों को लेकर बयान संपन्न हुए.
जालना: ईद-ए-मिलादुन्नबी के उपलक्ष्य में रविवार को मंगल बाजार स्थित गुलजार मस्जिद से भव्य जुलूस-ए-मोहम्मदि निकाला गया, जिसमें सैकड़ों अकीदतमंदो ने उत्साह के साथ शिरकत करते हुए इस्लामी झंडो और नारों को बुलंद किया. जिससे पूरी जालना स्टील सिटी झूम उठी. विविध झांकियां आकर्षण का केंद्र रही. रथ पर सवार जुलूस कमेटी के पदाधिकारियों का जगह जगह पर स्वागत किया गया.
ईद-ए-मिलाद निमित्त कदिम जालना पोलीस ठाण्यात घेण्यात आली बैठक
delegation of Sunni scholars led by Hazrat Syed Moin Miya and Alhaaj Muhammad Saeed Noori met the Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis
हाफिज़-ए-क़ुरआन की दुनिया और आख़िरत में अहमियत
हुजूर की पैदाइश का समय दुआओं की कबूलियत का वक्त – जमील मौलाना
दुनिया आज भी हजरत मुहम्मद के दर की मोहताज है – मौलाना सोहेल
मिस्र सरकार तुरंत मज़ार-ए-पाक का दोबारा निर्माण करें – (मौलाना मुईन मियां)।
सूरह अल कहफ़ पवित्र क़ुरान की 18 वीं सूरह हैं। ये क़ुरान के 15 और 16 पारे में मौजूद हैं। यानि के इस सूरह को आप क़ुरान के 15 वे और 16 वे पारे में पढ़ सकते हैं। सूरह कहफ़ का मतलब होता है गुफा इस सूरह में कुल 110 आयतें, 1583 शब्द और 6425 अक्षर मौजूद हैं। ये मक्का में नाज़िल हुई थी इसलिए इसे मक्की सूरह भी कहा जाता हैं। इस सूरह में कहफ़ नाम एक गुफा में मौजूद लोगो की कहानी से लिया गया हैं। इस सूरह में 4 अलग अलग कहानियों का ज़िक्र आया हैं ये चार कहानियों के नाम इस प्रकार हैं।
जालना: हुजूर मोहम्मद (सअ) अमन और इंसाफ के पैगंबर बनकर दुनिया में तशरीफ़ लाए थे. आपका दुनिया में आना संपूर्ण इंसानियत के लिए अल्लाह का इनाम है. इसलिए ईद-ए-मिलादुन्नबी पर निकाले जाने वाले जुलूस के जरिए हमें अमन, शांति और इंसाफ का संदेश सभी धर्मों और नागरिकों तक पहुंचाना होगा. यह प्रतिपादन गुलजार मस्जिद के इमाम मौलाना गुलाम जिलानी मिस्बाही ने किया.
जालना: पैगंबर मुहम्मद (स अ) के आने से पहले पूरी दुनिया कुफ्र, शिर्क, गुमराहीयत और बडे बडे गुनाहों में जकड़ी हुई थी. यहां तक की दूर दूर तक अमन शांती नजर नही आती थी. औरतों का कोई मुकाम नही था. यहां तक के औरत को इतना बुरा समझा जाता था कि बाप अपनी बेटी को अपने हाथों से जिंदा दफन कर दिया करते थे. शराब नोशी पानी की तरह पायी जाती थी. जिना(बलात्कार) आम था, बेवा औरतों को बहुत गलत निगाह से देखा जाता था. इसके अलावा बेशुमार गुनाहों का दलदल बना हुआ था. ऐसे मौके पर अल्लाह ने पैगंबर मुहम्मद (सअ) को पूरी कायनात के लिए रहमत बनाकर भेजा.
जालना: २८ सितंबर को ईद ए मिलाद के उपलक्ष्य में पिछले सप्ताह भर से बुºहाण नगर स्थित हसनिया मस्जिद में हर दिन ईशा की नमाज के बाद विशेष बयान हो रहे है. २७ सितंबर तक चलने वाले इस आयोजन में नागरिकों को बडी संख्या में उपस्थित रहने का आह्वान काझी अल्लाह बख्श अमजदी ने किया है.
sultan Salahuddin Ayyubi
रजा एकेडमी ने महाराष्ट्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र बुलढाणा जिले के जलगांव और जामोद के जरूरतमंद लोगों को राहत वितरित की
जालना: मुल्क को आजादी दिलाने में जमियते उलेमा हिंद का बड़ा योगदान रहा है. आजादी के बाद देश में एकता बनाए रखने में भी जमीयत बड़ी भूमिका निभा रही है. इसी उपलक्ष्य में स्वतंत्रता दिन के उपलक्ष्य में मंगलवार को जमियत द्वारा शहर में विविध उपक्रमों का आयोजन किया गया है. जिसमें शाम को मुख्य कार्यक्रम के साथ ही दिन भर महारक्तदान शिविर भी संपन्न होगा. मुख्य कार्यक्रम में जमीयत के महाराष्ट्र अध्यक्ष मौलाना हाफिज नदीम सिद्दीकी जालना में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे
जालना: अपने हिंदू वोटरों को एकजुट करने के प्रयास में भाजपा द्वारा मुसलमानों को परेशान किया जाता रहा है. वास्तव में भाजपा मुसलमानों को परेशान नही करना चाहती है वो तो बस हिंदू वोटरों को एकजुट कर उन्हें खुश करने के लिए ऐसा करती है. समान नागरिक कानून को लाना भी इसी का हिस्सा था. लेकिन यह सरकार पर ही पलट कर उलटने लगा है. अब यदि सत्ता में बने रहने के लिए किसी दिन भाजपा मुसलमानों को खुश करने लगे तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नही होगी. देश में जो भी चल रहा है वो मुसलमानों के खिलाफ नहीं बल्कि कुर्सी हासिल करने के लिए ही हो रहा है.
जालना: इमाम हुसैन का जीवन पूरी इंसानियत के लिए एक मिसाल है. यदि हम इमाम हुसैन से प्यार करते हैं, तो हमें उनके तरीकों का पालन करना चाहिए. उन्होंने भूखा-प्यासा रहना पसंद किया, अपना देश, अपना घर छोड़ना पसंद किया, सब कुछ कुर्बान कर दीया लेकिन यजीद जैसे जालिम और अत्याचारी राजा को अपना हाथ नहीं दिया. मुसलमानों को उनकी जिंदगी से काफी कुछ सीखने की जरूरत है.
जालना: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव, मालेगांव स्थित खानखाए रहमानी के सज्जादा नशीन मुहम्मद उमरैन महफूज रहमानी १ अगस्त मंगलवार को जालना दौरे पर रहेंगे. इस दौरान शहर के नॅशनल नगर स्थित मस्जिद हजरत उमर बिन खत्ताब में एक दिवसीय इज्तेमा का आयोजन किया गया है. उनके दौरे की तैयारियों को लेकर मंगलवार १८ जुलाई को नॅशनल नगर में बैठक संपन्न हुई.
मुंबई: ईद-उल-अजहा पर स्वीडन की मुख्य जामा मस्जिद के सामने सलवान मोमिका द्वारा पवित्र कुरान की प्रति जलाए जाने से दुनिया भर के मुसलमानों में आक्रोश है। शुक्रवार को इस्लाम के तीसरे खलीफा हजरत उस्मान गनी के शहादत दिवस पर रजा एकेडमी ने इस पवित्र कुरान दिवस मनाने की अपील की।
रज़ा एकेडमी ने पवित्र कुरान के अपमान का विरोध किया
मुंबई: स्वीडन में स्टाकहोम सेंट्रल मस्जिद के सामने कुरान जलाने का सुन्नी मुस्लिमो के संगठन रज़ा एकेडमी ने विरोध किया है। रज़ा एकेडमी ने कहा कि हम पवित्र कुरान का अपमान कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते।
जालना: जालना शहर स्थित मस्जिद दरगाह राजाबाग शेर सवार में ईद की नमाज के पहले मार्गदर्शन करते हुए सैयद जमील मौलाना ने कहा की इबादत और कुर्बानी सिर्फ अल्लाह के लिए होती है इसलिए इसमें दिखावा ना हो. जो लोग कुर्बानी के पहले जानवरों को सजाना या हार पहनाना जैसे काम करते है वो सही नहीं है इसमें शिर्क का शुबा पैदा होता है.
जालना: इस्लाम में कुबार्नी का बहुत महत्व है. कुबार्नी के दिनों में कुबार्नी करना ही वाजिब है. इसकी बरकत से गुनाह मिटते हैं. मुसीबतें और परेशानियां टलती है तथा बलाएं और बीमारियां भी दूर होती हैं. इसलिए नागरिक सरकार के सभी नियमों का पालन कर अपनी कुर्बानियां अल्लाह की राह में पेश करें. सार्वजनिक स्थानों पर कुबार्नी करने से बचने की अपील गुलजार मस्जिद के पेश इमाम मौलाना गुलाम जिलानी मिस्बाही ने की है.
जालना: हज के लिए दुनिया भर से पहुंचे हाजियों के साथ ही मंगलवार को हज के दूसरे दिन जालना के हाजियों ने भी अराफात के मैदान पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हुए चिलचिलाती धूप में कभी खड़े होकर तो कभी बैठकर इबादत करते हुए अपने रब से गुनाहों की माफी मांगी.
जालना शहर और जिले में ईद की नमाज का टाइम टेबल
जालना: जालना शहर के हजरत जानुल्लाह शाह बाबा दरगाह परिसर में चलने वाले मकतब हजरत जान मोहम्मद जान उल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के विद्यार्थियों को मंगलवार ३० मई को अरबी किताबें तकसीम की गई.
हज़रत इमाम हुसैन को इस्लाम में शहीद का दर्जा दिया गया हैं। उनकी शहादत की कहानी हर किसी को रुला सकती है। इमाम हुसैन की याद में ही मुहर्रम के महीने में उनकी शहादत को याद किया जाता हैं। हज़रत इमाम हुसैन मानवता प्यार और अहिंसा के प्रतिक थे। उनके कर्बला में शहीद होने की किस्से कई हदीसों में आये हैं। आज के इस आर्टिकल में हम हज़रत इमाम हुसैन के बारे में तफ्सील से जानेंगे। उनके जन्म, उनकी कहानी और कर्बला के किस्से को बताने की कोशिश करेंगे।
जालना में ईद की नमाज टाइम टेबल
जालना: जमाते इस्लामी हिंद द्वारा शुक्रवार को नया जालना के पानी बेस परिसर स्थित कलश सिटी में रमजान और मानवता का संदेश इस विषय को लेकर विशेष कार्यक्रम संपन्न हुआ. साथ ही रोजा इफ्तार पार्टी भी संपन्न हुई.
“या लतिफु ” यह वह इस्मे पाक हैं जिसके फायदे और बरकते बेपनाह हैं। एक हदीस हैं की एक मर्तबा एक बुज़ुर्ग बड़े परेशान और बदहाल थे। एक अजीब सा खौफ उनके दिमाग पर छाया हुआ था। उनके दिल में हर वक़्त एक खौफ सा रहता था। जिसकी वजह से उन्हें कभी आराम नहीं मिलता। उन बुज़ुर्ग ने एक दिन सोचा की हर दर्द की दवा हैं मुहम्मद के शहर में है तो फिर क्यों न मक्का मुअज़्ज़मा का सफर किया जाये। इससे हज का फ़र्ज़ भी अदा हो जायेगा और दरबारे रसूले पाक में हाज़री भी हो जाएगी और अपने मर्ज़ का इलाज भी हो जायेगा। लेकिन फिर वह सोचने लगे आखिर सफर करें तो कैसे? न सफर के खर्चे के लिए कोई पैसा है और न ही इतना खाने पीने का सामान जो पुरे सफर में चल जाये। लेकिन वह (बुज़ुर्ग) किसी भी हाल में वहां (मक्का मुअज़्ज़मा) जाना चाहते थे। उन्हें बस एक धुन सवार थी की मक्का मुअज़्ज़मा का सफर करना हैं। फिर क्या था उन्होंने खुदा का नाम लिया और चल पड़े मक्का मुअज़्ज़मा के सफर के लिए यह भी नहीं सोचा के आगे उनके साथ क्या होगा। कैसे बिना पैसे और खाने के सफर होगा।
जालना: जालना शहर से सटे निधानों में हजरत सैय्यद निरगुन शाह वली (रअ) के उर्स के उपलक्ष्य में मजहबी तथा समाजोपयोगी उपक्रम उत्साह के साथ संपन्न हुए.
जालना: रमजान महीना बरकतों का महीना है इस महीने में ज्यादा से ज्यादा समय इबादत में गुजारने का हुक्म है. इसी के चलते हर साल की तरह इस साल भी जमीयत उलेमा हिंद की ओर से रमजान के आखिरी अशरे (१० दिन) तक इस्लामी स्कॉलरों द्वारा विविध विषयों को लेकर मार्गदर्शन किया जाएगा. जालना स्थित रेलवे स्टेशन मस्जिद में तरावीह की नाम के बाद बयान होंगे.
जालना: रमजान माह बरकतों का महीना है इस महीने में इबादत करने वालों को अन्य महीनों की तुलना में कई गुना अधिक सवाब मिलता है. रमजान में भी अल्लाह तआला ने अपने बंदो के लिए एक ऐसी रात रखी है जिसमें की गई इबादत हजार महीनों से अफजल है. लेकिन इस रात को रमजान माह के आखिरी अशरे(आखरी १० दिनों) की ताक(विषम) रातों में तलाश करने का हुक्म पैगंबर मुहम्मद (स अ)ने किया है.
कुरान मजीद में अल्लाह पाक ने 82 जगहों पर अपने बन्दों को ज़कात अदा करने की ताकीद फ़रमाई हैं। इतनी सख्त ताकीदो के बावजूद जो मुसलमान अपने माल की सालाना ज़कात अदा नहीं करते गोया वह 82 बार अपने रब की नाफरमानी करते हैं। शायद लोग यह सोच कर इतनी बड़ी नादानी करते हैं कि ज़कात देने से माल कम हो जाएगा यह उनकी बड़ी नादानी व भूल है ऐसा सोचना भी गुनाह है।
रज़ा एकैडमी और आल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उल्मा ने शाम और तुर्की में आने वाले ज़लज़ला मुतास्सिरीन को इफ्तार तक्सीम करना शुरु किया है – अल्हाज़ मुहम्मद सईद नूरी
اعتکاف ایک عظیم عبادت ہے ،اس کا اجربہت بڑا ہے خصوصاً رمضان المبارک کے آخری دس دنوں کااعتکاف تو مسنون ہے اور بڑی خیر وبرکت کا حامل بھی ۔ نبی کریم ﷺ کا ارشاد ہے : کوئی شخص ایک دن کا بھی اعتکاف اللہ کی رضا کے واسطے کرتا ہے تو اللہ تعالیٰ اس کے اور جہنم کے درمیان تین خندقیں آڑ فرمادیتے ہیں، ان میں سے ہر ایک خندق کی مسافت (چوڑائی) آسمان و زمین کی درمیانی مسافت سے زیادہ ہے ۔(المعجم الاوسط)
اسی طرح اللہ کے رسول ﷺ کا فرمان مبارک ہے جو شخص عشرہ رمضان (رمضان کے آخری دس دنوں)کا اعتکاف کرے گا اس کو دو حج اور دو عمرے کا ثواب ملے گا۔ (شعب الایمان،بیہقی)
जालना: मालेगांव स्थित खानकाह रहमानिया (मस्जिद हिदायतुल इस्लाम, बिस्मिल्लाह बाग, मालेगांव) में रमजान के आखिरी (दस दिन) के मसनून एतेकाफ का आयोजन किया गया है. इसमें भाग लेने के लिए महाराष्ट्र भर से लोग पहुंचते है. जालना से भी कई लोग इस एतकाफ के लिए रवाना हो रहे है. जो लोग इसमें भाग लेना चाहते है उनसे अपील की गई है की १५ रमजान तक वे इसके लिए अपने दर्ज करें. अधिक जानकारी के लिए मौलाना आरीफ रहमान, मौलाना वासेफ रहमानी, मौलाना मुख्तार फैजी, हाजी शकील से या फिर 9673298937 और 9175829183 पर संपर्क कर सकते है.
जालना: स्कूलों में सफलता प्राप्त विद्यार्थियों का तो भव्य सम्मान किया जाता है लेकिन मदरसे में पढने वाले विद्यार्थी जो की पूरे समाज को सुधारने का काम करते है उनका सम्मान कम ही होता है. जालना के समाज सेवक शेर खान मुख्तार खान द्वारा बुधवार को विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. जिसमें जिले भर के १५ हुफ्फाजों के साथ ही ३५ आलीमाओं को भी विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा.
जालना: हर साल की तरह इस साल भी मस्जिद दरगाह सैयद अहमद शेर सवार (राजा बाग शेर सवार) में रमजान माह के अवसर पर पढी जाने वाली तरावीह नमाज के दौरान ७ शबी शबीने का आयोजन किया गया है. ७ दिनों में संपूर्ण कुरान मुकम्मल रूप से पढ़ी जाएगी.
जालना: आज का यह दौर बेहयाई का दौर है तथा दीन से दूर होकर लोग भी नैतिकता भूल चूक है. आने वाली नस्लों को इस बेहयाई से बचाने तथा उन्हें नैतिक रूप से जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए जरुरी है की उन्हें स्कूली तालीम के साथ ही दीनी तालीम हासिल करने के लिए मदरसों में भेजा जाए. यह प्रतिपादन मौलाना हसन रमजानी ने किया.
जालना: हज यात्रा को जाने के इच्छुक लोगों के लिए २० मार्च आवेदन का आखिरी दिन था. जालना जिले से कुल ४११ इच्छुक ने फॉर्म भरा है. अब इनमें से कितने लोगों का हज के लिए चयन होगा इसका पता मुंबई में रमजान के पहले अशरे में संपन्न होने वाले ड्रा के बाद ही पता चलेगा.
जालना: जमात रजा ए मुस्तफा जालना शाखा द्वारा माहे रमजान के मौके पर जालना शहर में महिलाओं के लिए अजिमो शान इजतेमा बनाम जश्न ए इस्तकबाल ए रमजान व इस्लाहे मुआशरा कॉन्फ्रेंस का आयोजन २० मार्च सोमवार को सुबह ११.३० बजे से शाम ४ बजे तक पुराना जालना के दुखी नगर स्थित अक्सा फंक्शन हॉल में आयोजित किया गया है.
आज के इस ब्लॉग आर्टिकल में हम आपको कुछ खास इस्लामी सूरह के बारे बताएँगे जिन्हें पढ़ कर आप अपनी ज़िन्दगी सुधार सकते हैं और काफी मुसीबतों से बच सकते हैं।
जालना: दीनी तालीम के साथ ही दुनियावी तालीम हासिल करना भी जरूरी है. इस्लाम में तालीम हासिल करने को सबसे अधिक महत्व दिया गया है. आज जो परेशानियों से समाज गुजर रहा है उसका कारण लोगों का दिनी तालीम से महरूम रहना ही है. परिवार के सदस्यों को चाहिए की वे भले आधी रोटी खाए लेकिन अपने बच्चों को बेहतरीन दीनी और दुनियावी तालीम देने की पूरी व्यवस्था करें.
जालना: जालना नगर पालिका में कोरोना दंड वसुली में हुए लाखों के गबन के मामले में आखिरकार प्रभारी लिपिक संतोष अग्निहोत्री के विरुद्ध कदीम जालना पुलिस थाने में नप उप मुख्याधिकारी महेश शिंदे की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है. मामले की जांच यदि सही दिशा में होती है और पुलिस किसी के दबाव में आए बगैर जांच करती है तो इसमें न केवल नप बल्कि पुलिस महकमे और शहर के कई सरकारी शिक्षकों पर भी मामले दर्ज होने की संभावना जानकारों ने जतायी है.
कुरान मजीद में अल्लाह पाक ने 82 जगहों पर अपने बन्दों को ज़कात अदा करने की ताकीद फ़रमाई हैं। इतनी सख्त ताकीदो के बावजूद जो मुसलमान अपने माल की सालाना ज़कात अदा नहीं करते गोया वह 82 बार अपने रब की नाफरमानी करते हैं। शायद लोग यह सोच कर इतनी बड़ी नादानी करते हैं कि ज़कात देने से माल कम हो जाएगा यह उनकी बड़ी नादानी व भूल है ऐसा सोचना भी गुनाह है।
हमारे ख्वाजा गरीब नवाज 14 रजब 536 हिजरी (1142 ईस्वी) को पीर (सोमवार) के दिन सिस्तान (ईरान देश का एक गांव) में पैदा हुए। कुछ विद्वान इनकी पैदाइश की तारीख और जन्म की जगह को अलग अलग बताते हैं। बहरहाल 9 साल की उम्र में आप हाफिज ए कुरान हो गए। ख्वाजा साहब की तालीम उनके घर पर ही हुई थी। विरासत में आपको एक छोटा सा बाग़ और एक पनचक्की मिली थी। हज़रत इब्राहिम कंदोजी से मुलाकात होने के बाद जब दिल की दुनिया बदली तो उसे बेच कर पैसा गरीबों में बांट दिया और खुद हक़ की तलाश में निकल पड़े।
जालना: इस्लाम में शौहर की फरमा बरदारी करने का हुक्म औरतों को दिया गया है. इसको लेकर पैगंबर मुहम्मद (सअ) ने बताया है की यदि अल्लाह के अलावा किसी को सजदा करना जायज होता तो मैं औरतों को हुक्म देता की वो अपने शौहर को सजदा करें. इस बात से यह पता चलता है की शोहर का मर्तबा कितना बड़ा है. इसलिए ख्वातीन इस्लाम को चाहिए की वे अपने शौहर का हुक्म मानने और शरीयत की नाफरमानी करने से बचें. नमाज इस्लाम का एक अहम रुक्न है. महिलाओं को चाहिए की नमाज अदा करने में किसी भी तरह की कोताही न बरते.
मोमिन का एहतराम बेहद ज़रूरी हैं, यहाँ तक की फ़र्ज़ हैं उसकी तौहीन करीब करीब कुफ्र हैं, इस्लाम इंसानियत की सारी खूबियां मोमिन में मौजूद होने की ताकीद करता हैं, जिस तरह ज़िन्दगी में मोमिन का अदब व एहतराम ज़रूरी हैं उसी तरह उसके इंतेक़ाल के बाद भी ज़रूरी हैं इसलिए अल्लाह के रसूल ने बड़े ही अदब व एहतराम के साथ मुर्दो को दफ़नाने का हुक्म दिया हैं और कब्रों के ऊपर चलने से मना फ़रमाया हैं।
जालना: इस साल बनाई गई नई हज नीति के तहत केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने हज यात्रा में कई तरह के बदलाव किए है. इसी के तहत अब भारत से जाने वाले यात्रियों को पहले की तरह सऊदी अरब में २१०० रियाल नहीं मिलेंगे. बल्कि उन्हें भारत से ही कम से कम १५०० रियाल ले जाने होंगे.
जालना: जालना शहर के º हाणनगर में लड़कियों के लिए चलने वाले मदरसा अहले सुन्नत हसनिया लिल बनात का पहला सालाना जलसा २६ फरवरी को आयोजित किया गया है. इस उपलक्ष्य में महिलाओं के लिए इस्लाहे मुआशरा कॉन्फ्रेंस भी संपन्न होगा.
मेहनत से कमाई करके अपने बाल बच्चों की परवरिश करना, घरवालों को मुहताजी से बचाना और खुद भी बचना बहुत बड़ी इबादत ही नहीं बल्कि इस्लाम के पांच रुक्नों के बाद सबसे बड़ी फ़र्ज़ इबादत है। कुरान व हदीस में इसके बारे में सख्त ताकीद आई है अल्लाह पाक फरमाता है, हमने तुम्हें जमीन पर रहने के लिए जगह दी और उसी में तुम्हारे लिए रोज़ी बनाई (सूरह आराफ़) और सूरह हजर में फरमाया और हमने तुम्हारे लिए वहां रोज़ी के साधन बनाएं और उन्हें भी रोजी दी जिन को तुम खिला पिला नहीं सकते थे। सूरह बकर में फरमाया- हज के मौके पर भी तुम्हें अपनी रोजी तलाश करने में कोई गुनाह नहीं।
हज़रत इमाम हुसैन को इस्लाम में शहीद का दर्जा दिया गया हैं। उनकी शहादत की कहानी हर किसी को रुला सकती है। इमाम हुसैन की याद में ही मुहर्रम के महीने में उनकी शहादत को याद किया जाता हैं। हज़रत इमाम हुसैन मानवता प्यार और अहिंसा के प्रतिक थे। उनके कर्बला में शहीद होने की किस्से कई हदीसों में आये हैं। आज के इस आर्टिकल में हम हज़रत इमाम हुसैन के बारे में तफ्सील से जानेंगे। उनके जन्म, उनकी कहानी और कर्बला के किस्से को बताने की कोशिश करेंगे।
अरबों ने इस्लाम से पहले क़मरी महीनों यानी चन्द्रमास के नामों का इस्तेमाल किया है। वक्त गुजरने के साथ साथ अरब में कुछ नामों पर इत्तेफाक हो गया और यह नाम सारे अरब में इस्तेमाल किए जाने लगे। यहां तक कि पांचवी सदी ईसवी का वाकया पेश आया जो कि नबी करीम सल्लल्लाहो वसल्लम के पांचवे दादा कुलाब का जमाना है। याद रहे इन महीनों के नामकरण की वजहों का इस्लामी शरीयत से कोई ताल्लुक नहीं है।
हमारे मुल्क हिंदुस्तान के बरैली शहर में 14 जून 1856 ईस्वी में सनीचर के दिन ज़ोहर के वक़्त हमारे आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां फ़ाज़िले बरैलवी रहमतुल्लाह अलैह पैदा हुए। जिन्होंने इस्लाम को एक नयी ज़िन्दगी बख्शी। उनके किरदार उनके इल्म उनकी किताबों को पढ़कर आप इस्लाम के रास्ते पर चल सकते हैं। आपने ऐसी खूबियां मौजूद थी की आपके सामने दुनिया की बातिल ताकतें भी मात खा गयी। 14 साल की उम्र में आपमें इल्म का ऐसा दरिया था की उस वक़्त के बड़े बड़े आलिमों ने आपके इल्म का लोहा माना। आपने अपनी किसी खिदमत का कभी पैसा नहीं माँगा और मांगते भी क्यों? वह तो अपने आका के ऐसे गुलाम थे की दीन को फैलाना ही उनकी ज़िन्दगी का मकसद था। आपकी इल्मी व अमली काबिलियत को देखकर उस वक़्त के मशहूर बुज़ुर्ग हज़रत वारिस अली शाह आपके लिए बोल पड़े इसका मर्तबा अपने वक़्त के आलिमो और वलियों में आला हैं फिर तो आप आला हज़रत बनकर ही दुनिया में चमके।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के सबसे प्यारे नबियों में से एक नबी थे। उन्हें कलीमुल्लाह के नाम से उस वक़्त जाना जाता था। जिसका मतलब होता हैं अल्लाह से सीधे बात करना वाला। यानि की हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम में ऐसी करिश्माई ताकत थी की वो सीधे अल्लाह से बात कर सकते थे। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की कहानी का ज़िक्र कई हदीसों में आया है। आज हम कोशिश करेंगे की आप को ज़्यादा से ज़्यादा हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के बारे में बता सके।
सूरह रहमान क़ुरान मजीद की 55 वी सूरह हैं। यह सूरह क़ुरान के 27 वे पारे में मौजूद हैं। इस सूरह में 78 आयतें हैं। इस सूरह का पता मक्का में चला था तो इसे मक्की सूरह भी कहा जाता हैं। जैसे सूरह यासीन को क़ुरान का दिल कहा जाता हैं। वैसे ही इस सूरह को क़ुरान की दुल्हन भी कहा जाता हैं। सूरह रहमान में रहमान का मतलब दयालु होता हैं। सूरह रहमान बताता हैं की अल्लाह अपने बन्दों पर कितना मेहरबान रहता है अगर सूरह रहमान पढ़ा जाये तो अल्लाह अपने बन्दों के बड़े से बड़े गुनाहो को भी माफ़ कर देता हैं।
सूरह यासीन जिसे यासीन शरीफ भी कहा जाता है। ये क़ुरान की 36 वीं सूरह हैं सूरह यासीन में कुल 83 आयतें हैं। सूरह यासीन क़ुरान शरीफ की सबसे अफ़ज़ल सूरह में से एक सूरह हैं। सूरह यासीन को क़ुरान का दिल भी कहा जाता हैं क्यूंकि इस सूरह में इस्लाम से जुडी सारी ज़रूरी बातें जो इंसान को नेकी की रह पर ले जाती हैं और इंसान को गुनाहो से बचाती हैं वह शामिल हैं।
मेराज की घटना नबी (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) का एक महान चमत्कार है, और इस में आप (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) को अल्लाह ने विभिन्न निशानियों का जो अनुभव कराया यह भी अति महत्वपूर्ण है। मेराज के दो भाग हैं, प्रथम भाग को इसरा और दूसरे को मेराज कहा जाता है, लेकिन सार्वजनिक प्रयोग में दोनों ही को मेराज के नाम से याद कर लिया जाता है।
जालना: जालना शहर के गरीब शाह बाजार स्थित हजरत गरीब शाह दातार (रअ) के उर्स के उपलक्ष्य में १३ और १४ फरवरी को विविध मजहबी कार्यक्रम उत्साह के साथ संपन्न हुए.
क्या आप जानते हैं कि इराक में पैदा होने वाले सलाहुद्दीन अय्यूबी ने ही बैतुलमुक़द्दस को फतह किया था। सलाहुद्दीन अय्यूबी ने ही दुनिया की सबसे आधुनिक सल्तनत की बुनियाद रखी थी। उनके जरिये स्थापित की गई अय्यूबी सल्तनत ने 100 सालों तक आधी दुनिया पर राज किया। इस सल्तनत की सरहदें मिश्र से लेकर सीरिया, तुर्की, यमन, हिजाज़ और अफ्रीका तक फैली हुई थी।
مقام مسرت ہےکہ آج مورخہ 23/جنوری2023ءبروزپیرکومسجدھدایت الاسلام خانقاہ رحمانیہ(بسمﷲباغ٬مالیگاؤں)کی تعمیرجدیدکےایک اہم مرحلے(بیسمینٹ کےکالمس کی بھرائی)کا آغاز حضرت مولانا مفتی محمد حسنین محفوظ نعمانی صاحب(قاضی شریعت دارالقضاء٬مالیگاؤں)کےدست مبارک سےہوا٬اس مبارک موقع پرحضرت مفتی صاحب نےمسجد و خانقاہ کی مکمل تعمیرکےلیے دعابھی فرمائی۔
हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम भी अल्लाह के नबियों में से एक नबी थे। हज़रत अयूब अलैहिस्सलाम पैग़म्बर हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के वंश से थे। हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम हज़रत इस्हाक़ अ़लैहिस्सलाम के बेटों में से एक बेटे थे। अल्लाह ने आप को माल ,दौलत और औलादों से से नवाज़ा था। हदीसों के मुताबिक आप के 7 बेटे और 7 बेटियां हुआ करती थी।
आज के आर्टिकल में हम कुछ और अच्छी दीनी और इस्लामी बातों पर नज़र डालेंगे इससे पहले भी हम एक आर्टिकल में कुछ दीनी और इस्लामी बातों को बता चुके हैं आज फिर हम कुछ और इस्लामी बातों के बारें में आप को बताएँगे। आपसे गुज़ारिश हैं की इन सब बातों पर आप गौर करे और जो बताया जा रहा हैं उसे अच्छे से पढ़े और समझे और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को बताएं।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने संगठन के 34वें महा अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत इस्लाम की जन्मस्थली और मुसलमानों का पहला वतन है. भारत हिंदी-मुसलमानों के लिए वतनी और दीनी, दोनों लिहाज़ से सबसे अच्छी जगह है.
क़ुरान दुनिया की पहली आसमानी किताब है जो आज तक अपनी असल हालत में मौजूद है। कुरान इस्लाम धर्म के आखिरी सन्देष्टा और पैगंबर मोहम्मद साहब पर अवतरित हुआ। यह 30 खंडों में विभाजित है इसमें 114 सूरतें हैं। आइए जानते हैं कुरान से संबंधित कुछ दिलचस्प जानकारियों के बारे में