प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैये से नाराज मानवाधिकार आयोग

जालना: जालना शहर विशेषकर बाहर गांव से आने वाली महिलाओं और नागरिकों के लिए मुख्य बाजार में शौचालय नहीं होने से उनके मानवाधिकार का हनन होने का आरोप लगाकर एड अश्विनी महेश धन्नावत ने आयोग के समक्ष शिकायत की. इस पर पालिका, जिला प्रशासन और विभागीय आयुक्त ने आयोग को एक तरह से गुमराह करते हुए दूसरी संस्थाओं के शौचालयों को स्वयं का बताया, झुग्गी झोपड़पट्टी में झुग्गीवासियों के लिए बनाए गए शौचालयों की तस्वीरें दिखाई. लेकिन इन शौचालयों को दरवाजा नही, टुटियां नही पानी की व्यवस्था नहीं तथा इनका उपयोग बरसों से नही होने के कारण आयोग ने नाराजगी जतायी जिस पर विभागीय आयुक्त को सही रिपोर्ट देने के लिए समय मांगने की नौबत आन पडी. 

महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय का मुद्दा गहराया

जालना: जालना शहर में आने वाले नागरिकों विशेषकर महिलाओं के लिए बाजार सहित अन्य प्रमुख जगहों पर सार्वजनिक शौचालयों की सुविधा नहीं होने के कारण अब एक बार फिर जालना जिलाधिकारी को मुंबई में मानवाधिकार आयोग के समक्ष २४ अप्रैल को उपस्थित रहकर सफाई देनी होगी. इस मामले को शहर की समाज सेविका एड अश्विनी महेश धन्नावत ने मानवाधिकार आयोग के समक्ष पहुंचाया.

मानवाधिकार आयोग के समक्ष फिर खड़ा होना होगा जिलाधिकारी को

जालना: जिला प्रशासन द्वारा अपने कर्तव्य को पूरा नहीं करने के कारण नागरिकों के मानवाधिकार का हनन होने लगा है. शहर के मूर्ति बेस मामले में मानवाधिकार आयोग के निर्देश के बाद ही नागरिकों के लिए सड़क यातायात के लिए खोली गई थी. अब जिला ग्राहक तक्रार निवारण आयोग और सहायक धर्मादाय आयुक्त कार्यालय तक के पक्की सड़क को लेकर मामला सामने आया है. इस प्रकरण में जालना जिलाधिकारी, विभागीय आयुक्त, न प मुख्याधिकारी को उपस्थित रहने संबंधी समन्स मानवाधिकार आयोग मुंबई ने जारी किए है.

शहर के दस में से ७ ऐतिहासिक दरवाजे असुरक्षित * शहर की जनता की जान जोखिम में

जालना: जालना शहर के मूर्ति बेस के प्रकरण ने इस शहर के अन्य ऐतिहासिक दरवाजों की सुरक्षा को लेकर भी पोल खोल कर रख दी है. मानवाधिकार आयोग के कड़े रुख के चलते प्रशासन पसोपेश में है. नगर विकास विभाग के मुख्य सचिव ने आयोग को बताया कि शहर के १० में से केवल तीन बेस सुरक्षित है. जिसका साफ मतलब है की शहर की जनता अपनी जान जोखिम में डालकर दरवाजों से गुजर रही है. 

मानवाधिकार आयोग ने नप मुख्याधिकारी पर ठोका 25 हजार का जुर्माना* मुख्याधिकारी हाईकोर्ट में करेंगे अपील

जालना: महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग  की सुनवाई में प्रतिनिधित्व करने के लिए  निलंबित क्लर्क को भेजने का जालना नगर परिषद के अधिकारी का फैसला उनके लिए महंगा साबित हुआ है. आयोग ने  मुख्य अधिकारी पर 25,000 रुपये का जुमार्ना लगाया और जिलाधिकारी  को जुमार्ना वसूल कर शिकायतकर्ता को देने का आदेश दिया.  आयोग ने मुख्य अधिकारी को उसके सामने पेश होने के लिए भी कहा.

मानवाधिकार आयोग के खिलाफ मुख्य सचिव  हाईकोर्ट में  * जालना के ऐतिहासिक बेसों की सुरक्षा का मामला

जालना: जालना का मूर्ति बेस प्रकरण रुकने का नाम नहीं ले रहा है. भले ही डेड साल बाद मानवाधिकार आयोग के सख्त निर्देश के चलते रास्ता खुल गया है और लोगों ने राहत की सांस ली है. वही अब शहर के अन्य ऐतिहासिक बेसों की सुरक्षा के संदर्भ में जो निर्देश आयोग ने दिए है उससे नाखूश राज्य के मुख्य सचिव, उपविभागीय अधिकारी औरंगाबाद और जालना जिलाधिकारी ने मुंबई हाईकोर्ट की मुंबई बेंच में रिट पिटीशन दायर करते हुए मानवाधिकार आयोग अपनी सीमाओं से बाहर काम करने का मुद्दा उठाया. 

मूर्ति बेस मामले में अब महाराष्ट्र शासन के मुख्य सचिव से मांगी गई रिपोर्ट

जालना: जालना शहर के क्षतिग्रस्त हुए मूर्ती बेस के मुख्य हिस्से को तोडकर तथा उसके आस पास के परिसर की इमारतों को हटाकर रास्ता एक साल बाद जनता के लिए खोल दिया गया लेकिन मानवाधिकार आयोग के समक्ष यह मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. आयोजन ने जालना नप, जिलाधिकारी और विभागीय आयुक्त की कार्यप्रणाली पर नाराजगी दर्शाते हुए महाराष्ट्र शासन के मुख्य सचिव को समनस् जारी कर पूरी रिपोर्ट तलब की. इस मामले में अगली सुनवाई ६ फरवरी को होगी. 



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