
प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैये से नाराज मानवाधिकार आयोग
*विभागीय आयुक्त ने सही रिपोर्ट देने के लिए मांगा समय
* पालिका ने गायब दरवाजों के शौचालयों को उपयोग योग्य दर्शाने का किया प्रयास
* झुग्गी झोपड़पट्टी के शौचालयों की टूटिया गायब, पानी का पता नहीं
जालना: जालना शहर विशेषकर बाहर गांव से आने वाली महिलाओं और नागरिकों के लिए मुख्य बाजार में शौचालय नहीं होने से उनके मानवाधिकार का हनन होने का आरोप लगाकर एड अश्विनी महेश धन्नावत ने आयोग के समक्ष शिकायत की. इस पर पालिका, जिला प्रशासन और विभागीय आयुक्त ने आयोग को एक तरह से गुमराह करते हुए दूसरी संस्थाओं के शौचालयों को स्वयं का बताया, झुग्गी झोपड़पट्टी में झुग्गीवासियों के लिए बनाए गए शौचालयों की तस्वीरें दिखाई. लेकिन इन शौचालयों को दरवाजा नही, टुटियां नही पानी की व्यवस्था नहीं तथा इनका उपयोग बरसों से नही होने के कारण आयोग ने नाराजगी जतायी जिस पर विभागीय आयुक्त को सही रिपोर्ट देने के लिए समय मांगने की नौबत आन पडी.
* शहर में २२ सार्वजनिक शौचालय होने का किया था दावा
मानवाधिकार आयोग के समक्ष नगर पालिका द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार जालना शहर में २२ जगहों पर सार्वजनिक शौचालय है जिसका उपयोग हो रहा है. इसमें पुरुषों के लिए ९८ कमोड(सीट) की व्यवस्था बताई गई जबकि महिलाओं के लिए ८५ कमोड दर्शाए गए.
* रिपोर्ट सच्चाई से परे
पालिका ने इस रिपोर्ट को जरूरी तस्वीरों के साथ आयोग के समक्ष रखा जिसपर आयोग बिफर गया. इसमें जालना रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के शौचालयों को भी दर्शाया गया जो की पालिका के नहीं है. इसके अलावा शहर की झोपड़पट्टी में दशकों पहले बने शौचालयों की तस्वीर बताई गई. लेकिन इनमें से कई के दरवाजे नहीं दिखे, नल नही, टुटियां नही, पानी नही, इनका उपयोग बिलकुल भी नही. दिखावे के लिए केवल नुमाइशी शौचालयों की तसवीरें नजर आई. विशेषज्ञों की मानें तो विविध सरकारी फंड हासिल करने के उद्देश्य से ही ये बने थे जिनका उपयोग भी नही है.

* बाजार में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं
यह पूछने पर की जालना शहर के मुख्य बाजार में खरीदारों और महिलाओं के लिए कितने सार्वजनिक शौचालय है. इसपर प्रशासन ने कबूल किया कि शहर के बाजार में सार्वजनिक शौचालयों की व्यवस्था नहीं है. महात्मा फुले मार्केट भाजी मंडी का शौचालय नादुरुस्त होने की बात भी स्वीकार की तथा इसे बनाने के लिए योजना प्रस्तावित होने की बात कही. इस पर भी आयोग ने नाराजगी जताता हुए कब से बंद होने तथा इसे कब बनाया गया था इसकी भी रिपोर्ट तलब की.
Hey..
Boat is the very best product to purchase all type of gadgets
You will find the most incredible range of wireless earphones, earbuds, headphones, smart watches, and home audio.
http://klr.pw/RdIdrd
Purchase Now Quickly : klr.pw/RdIdrd
* स्वच्छ भारत मिशन के तहत ७८ लाख रुपए मंजूर

आयोग को प्रशासन ने यह भी बताया कि जालना शहर के बाजारों में सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत ७८ लाख रुपए मंजूरी है. जरुरी प्रस्ताव और टेंडर प्रक्रिया के बाद इन्हें बनाया जाएगा. लेकिन शहर में किन इलाकों में इसे बनाने की योजना है इसकी पूरी रिपोर्ट नहीं दी गई.
* रिपोर्ट में इन शौचालयों का नाम नहीं
रिपोर्ट में प्रशासन ने जिन शौचालयों की बात कही है उनमें उन शौचालयों का नाम नहीं है जो एक दशक पहले तक जनता के उपयोग में थे. इसमें पानी बेस के पास का शौचालय, मिशन अस्पताल रोड, छत्रपति शिवाजी प्रतिमा के पास, कादराबाद का शौचालय आदि के नाम रिपोर्ट में नही है. सूत्रों की मानें तो इनमें से कई शौचालयों के भूखंड हडप लिए गए है कईयों पर अतिक्रमण हो चुका है. अब इन भूखंडों पर दोबारा आधुनिक शौचालय बनाने की मांग उठने लगी है.
*मोबाईल शौचालय करवाए जाए उपलब्ध
इस बीच याचिकाकर्ता एड अश्विनी धन्नावत ने कहा कि शहर के बाजारों में हर दिन हजारों लोग पहुंचते है. कानून के अनुसार होटलों के शौचालयों का उपयोग इन्हे करने की व्यवस्था होती है. लेकिन होटल चालक ऐसा होने नहीं दे रहे है. पेट्रोल पंप पर भी शौचालयों की व्यवस्था सही तरीके की नही है. प्रशासन इन नियमों का सख्ती से पालन करें. इसके अलावा शहर की सड़कों पर मोबाईल शौचालयों की व्यवस्था हो ताकी महिलाए और बुजुर्गों को परेशानी से निजात मिल सके.
फोटो: इस तस्वीर को रिपोर्ट के साथ जोड़ा गया था. शौचालय के नाम के साथ जैन शब्द लगा हुआ है. जिस पर आयोग ने पूछा कि इसका रखरखाव किसके पास है. शौचालय को दरवाजा भी नहीं है.