
मिलिए उस शख्स से, जिसने मन की शांति के लिए छोड़ दिया 1 करोड़ का पैकेज
जालना: उपभोक्तावाद संस्कृति की चकाचौंध में जहां युवा लाखों और करोड़ों रुपये के पैकेज की ओर भाग रहे हैं। एशो-आराम और भौतिक वस्तुओं की चाह में रात-दिन एक किए हुए हैं। वहीं एक ऐसा भी युवा है, जिसने आत्म उत्थान और भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए एक करोड़ रुपये के पैकेज को पलभर में त्याग दिया।
यह शख्स है शैलेष जैन, जो दिगंबर मुद्रा धारण कर मुनि श्री वीर सागर महाराज बने। उन्होंने आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज से दीक्षा ग्रहण की। मुनि श्री वीर सागर जी महाराज तीन दिगंबर जैन मुनियों के साथ, 5 क्षुल्लक जी के साथ ससंघ 30 अप्रैल को जालना में आगमन हुआ। जालना के सकल जैन समाज ने महाराज की भव्य अगुवानी की तदुप्रांत गुरुदेव ने आशीर्वचन देते हुए गुरु सेवा की सीख दी।
रविवार को मीडिया प्रभारी संजय जी लोहाड़े ने उनसे विशेष बातचीत की। वर्ष 2004 में वीर सागर महाराज बॉम्बे के स्टॉक एक्सचेंज में कन्सलटेंट फर्म में सर्विस पर थे। तब वह एक करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर कार्य कर रहे थे। वहीं उनके छोटे भाई निलेश जैन बॉम्बे में रिलायंस जियो के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट हैं।
वर्ष 1994 में नागपुर से शैलेष ने केमिकल इंजीनियरिंग का कोर्स किया। इसके बाद उन्होंने एमबीए इन फाइनेंस और चार्टर्ड फाइनेंशियल अकाउंटेट (सीएफए) किया। इसके बाद वह बॉम्बे में एक कन्सलटेंट फर्म में सर्विस पर लगे। 31 वर्ष की आयु में उन्हें वैराग्य हुआ और आत्म उत्थान की लगन जगी।

उन्होंने बताया कि जीवन में हर कार्य का सही समय आता है। अपनी पढ़ाई पूरी करने और कुछ साल सर्विस करने के बाद जब उन्हें लगा कि यह सही समय है, जब धर्म और गुरु से जुड़कर शाश्वत जीवन को अपनाया जाए। इसके बाद उन्होंने सब कुछ त्याग दिया। भारतीय संस्कृति की रक्षा और आत्मा के विकास के लिए उन्होंने जैन दीक्षा ले ली। हालांकि वे बचपन से ही आचार्य श्री विद्यासागर महाराज से प्रभावित थे।
ऐसे निर्यापक श्रमण श्रेष्ठ गुरुदेव जालना नगरी के श्री 1008 श्रेयांसनाथ दिगंबर जैन मंदिर में साक्षात विराजमान है। गुरुदेव के साथ परम पूज्य 108 श्री विशालसागर जी महाराज तथा परम पूज्य 108 मुनिश्री धवलसागर जी महाराज शहर में अपनी चर्या से विशेष प्रभावना कर रहे हैं।साथ ही विशेष बात यह है कि निर्यापक श्रमण वीरसागर जी महाराज के साथ में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के गृहस्थ आश्रम के बड़े भ्राता जो कि आज परम पूज्य 108 मुनि श्री उत्कृष्ट सागर जी महाराज के नाम से जाने जाते हैं जिनकी उम्र लगभग 83 वर्ष की है, उनकी साधना भी देखते बनती है। आप सभी भगवान एवं गुरुदेव के दर्शन को पधार कर पुण्य अर्जन करें। आगंतुक अतिथियों की आवास निवास की समुचित व्यवस्था की गई है।