महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय का मुद्दा गहराया

* जिलाधिकारी को मानवाधिकार आयोग ने तीसरी बार किया तलब

जालना: जालना शहर में आने वाले नागरिकों विशेषकर महिलाओं के लिए बाजार सहित अन्य प्रमुख जगहों पर सार्वजनिक शौचालयों की सुविधा नहीं होने के कारण अब एक बार फिर जालना जिलाधिकारी को मुंबई में मानवाधिकार आयोग के समक्ष २४ अप्रैल को उपस्थित रहकर सफाई देनी होगी. इस मामले को शहर की समाज सेविका एड अश्विनी महेश धन्नावत ने मानवाधिकार आयोग के समक्ष पहुंचाया.

* प्रशासनिक लापरवाही के लिए हर बार जिलाधिकारी जिम्मेदार
गौरतलब है कि जालना शहर में नप प्रशासन हो या महसूल विभाग हो कोई भी महकमा नागरिकों की सुविधा के लिए काम करता नजर नहीं आ रहा है. हर बार मानवाधिकार आयोग में पहुंच वहां से आदेश निकालने पड रहे है. सबसे पहले शहर का मूर्ति बेस रास्ता मामला, जिला ग्राहक तक्रार निवारण आयोग का रास्ता तथा इसके बाद अब शहर में सार्वजनिक शौचालयों का मामला है. हर बार अपने अधीनस्थ अधिकारियों की लापरवाही का ठीकरा जिलाधिकारी डॉ विजय राठोड पर ही फुटने लगा है.

* ३ दशक से नही है शौचालयों की सुविधा
जालना जिले का मुख्य बाजार है जिस वजह से ग्रामीण इलाकों के अलावा मराठवाडा और विदर्भ से भी लोग यहां खरीदारी सहित अन्य कामों के सिलसिले में पहुंचते है. लेकिन शहर के सभी मुख्य बाजारों में पिछले ३ दशक से महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय नहीं है. पुरुषों के लिए जो थे वो भी अब उपयोग के लायक नहीं बचे है. इस मामले को लेकर जेष्ठ नागरिक डॉ राधेश्याम जायसवाल, नामदेव मिसाल आदि ने भी बुजुर्गों की बीमारी का हवाला देकर तत्काल सार्वजनिक शौचालयों की व्यवस्था की मांग की थी. बुजुर्गों की इन मांगों को भी प्रशासन ने नजरअंदाज कर दिया था.

* आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का दिया हवाला
इस मामले में २७ मार्च को हुई सुनवाई में मानवाधिकार आयोग ने सार्वजनिक शौचालयों के मामले को गंभीरता से लिया तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा नाइट शेल्टर विरुद्ध भारत सरकार मामले में जारी आदेश का हवाला दिया. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि शहरों में सार्वजनिक शौचालय का मसला अति आवश्यक सुविधा के तहत आता है. जिसे मुहैया करवाने की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है.
* विभागीय आयुक्त को जांच के आदेश दिए
मानवाधिकार आयोग ने २४ अप्रैल को जालना जिलाधिकारी को तो तलब किया ही है साथ ही छत्रपति संभाजीनगर विभागीय आयुक्त को भी निर्देश देकर इस पूरे मामले की जांच कर अगली सुनवाई में हलफनामा देने को कहा है.

* जालना में मानवाधिकार का हो रहा हनन- एड अश्विनी धन्नावत

इस मामले को लेकर मानवाधिकार पहुंची समाज सेविका एड अश्विनी धन्नावत ने कहा कि समय पर शौच नहीं कर पाने के कारण महिलाओं और बुजुर्गों को कई बीमारियों से रूबरू होना पड़ता है. वास्तव में शहर में जगह जगह पर सारी सुविधाओं के साथ सार्वजनिक शौचालयों को मेंटेन करने की जिम्मेदारी प्रशासन की है. लेकिन जालना में ऐसा ना कर प्रशासन मानवाधिकारों का हनन कर रहा है.