जालना के तीन लोगों ने माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक की चढ़ाई की

* जालना लौटने पर तीनों का भव्य स्वागत

जालना:  ‘माउंट एवरेस्ट’ दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है जो न केवल पर्वतारोहियों बल्कि आम आदमी को भी आकर्षित करती है. बहुत से लोग माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचकर एवरेस्ट की चोटी को निहारते है.लेकिन यह सफलता भी कम ही लोगों को मिलती है. तापमान माइनस में होने के कारण यहां तक पहुंचना भी मुश्किल होता है.  जालना के भक्कड़ परिवार की आरती महेश भक्कड़, नेत्र मनमोहन भक्कड़ और मनमोहन बजरंग भक्कड़ ने 11 दिन में माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की चढाई पूरी की. 

इस उपलब्धि को हासिल कर तीनों भी जालना लौट आए जहां उनका भव्य स्वागत किया जा रहा है. इनका कहना रहा की   एवरेस्ट बेस कैंप की चौई जीवन बदलने वाला अनुभव है.

परिवार की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने वाली और सामाजिक कार्यों में हमेशा पहल करने वाली नेत्रा भक्कड़ और आरती भक्कड़ का हमेशा से ही कुछ साहसिक और अलग करने का रुझान रहा ह. इसी साल मनमोहन भक्कड़ ने उनके साथ माउंट एवरेस्ट बेस कैंप करने का फैसला किया और फिजिकल फिटनेस के साथ मेंटली भी तैयार किया.  

फोटो: माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक की चढाई पूरी करने वाले जालना के तीनों का भव्य स्वागत किया गया.

जरुरी प्रशिक्षण के बाद इन तीनों ने  27 मार्च को लुकला से चढ़ाई शुरू की. माइनस 10 डिग्री तापमान और कम आॅक्सीजन सामग्री की विपरीत परिस्थितियों में 9 दिनों की 65 किमी की चढ़ाई के बाद तीनों गोरखपुर के बेस कैंप पहुंचे. बेस कैंप से 65 किलोमीटर नीचे उतरने में उन्हें 3 दिन लगे. उन्होंने कुल 130 किमी की का सफर तय किया.  दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले वह केदारकंठा, कलसुबाई, मनाली में कठिन ट्रैकिंग पूरी कर चुके है. 

इन तीनों के जालना लौटने पर उनका अभिनंदन ओमप्रकाश धानवाला, अशोक हुरगट, रामकुंवर अग्रवाल, रमेश श्रीपत, कमलकिशोर गोयल, प्रा ब्रिजमोहन देवीदान, रामदेव श्रोत्रीय, सतीश बगडिया, इंदरचंद गादिया, रुक्मिणीकांत दीक्षित, रवींद्र फुलभाटी, बाबुराव व्यवहारे, महेंद्र भक्कड, बजरंग भक्कड, राजेंद्र भक्कड, महेश भक्कड, वीरेन भक्कड,  नूतन मालपाणी आदि ने किया.