
आज के दौर में इनसानियत का सम्मान होना जरूरी- मौलाना सोहेल
* आनंदगढ़ आश्रम में धर्मगुरुओं की सभा में किया मार्गदर्शन

जालना: अल्लाह तआला ने सभी इंसानों को एक ही मां बाप से पैदा किया है. इसलिए सभी इंसान खून के रिश्ते से जुड़े हैं. हमें इस बात को स्वीकार करना चाहिए और आपसी संबंधों को मजबूत करना चाहिए. आज के इस दौर में इनसानियत का सम्मान होना जरूरी है. यह प्रतिपादन जमियते उलेमा के मराठवाड़ा अध्यक्ष मौलाना सोहेल नदवी ने किया.
आनंदगढ़ आश्रम में रविवार ९ अप्रैल को सभी धर्म के धर्मगुरुओं को आमंत्रित कर आपसी एकता और भाईचारे को लेकर विशेष कार्यक्रम संपन्न हुआ. इस समय मौलाना सोहेल ने अपनी बात रखी.

उन्होंने कहा की गंगा जमुनी सभ्यता वाले हमारे देश भारत में हजारों वर्षों से सभी धर्म के लोग एक साथ मिलजुल कर रहने आ रहे है तथा यह बात हमारी खासियत है. लेकिन इन दिनों चंद लोग अपने लाभ के लिए सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने, नफरत के माध्यम से हमारे बीच तनाव और अविश्वास पैदा करने पर तुले हुए हैं. हमें उनके नापाक प्रयासों को विफल करना होगा. मजहबे इस्लाम ने पूरी दुनिया को अमन, शांति और भाईचारे का संदेश दिया है. ऐसे में जरूरी है की सभी एक मंच पर आए तथा इस्लाम से जुड़ी जो गलतफहमियां है उन्हें आपसी संवाद से दूर किया जाए.
जालना शहर से सटे जामवाडी स्थित श्री क्षेत्र आनंदगड पर हभप डॉ भगवान बाबा आनंदगडकर महाराज की संकल्पना से यह कार्यक्रम संपन्न हुआ.
इस सम्मेलन में हभप डॉ.भगवान बाबा आनंदगडकर महाराज, साखरखेर्डा के मठाधिपती सिद्ध चैतन्य शिवाचार्य महाराज, गिरोली ( जिला बुलढाणा ) स्थित महानुभाव आश्रम के महंत राघवेंद्र शास्त्री, नागेवाडी स्थित बुद्धीविहार के भंते शिवलीजी अंगुलिमाल शाक्यपुत्र, छत्रपती संभाजीनगर स्थित गुरुद्वारा नानक धर्मशाला के खडकसिंग ग्रंथीजी, इंडेवाडी स्थित चर्च के फादर भाकरे गुरुजी, सोलगव्हाण स्थित शिवदीक्षा आश्रम के सद्गुरु सुर्यकांतेश्वर महाराज ,खुलताबाद के गुलाब सुलतान शहा, छत्रपती संभाजीनगर के प्राप्तिकर विभाग के आयुक्त प्रवीण पांडे आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहकर मार्गदर्शन किया.

* सबकी एक ही मंजिल है; एक ईश्वर के सभी अंग – सिद्ध चैतन्य शिवाचार्य महाराज
सिद्ध चैतन्य शिवाचार्य महाराज ने कहा कि, सारी मानव जाति समान है. सभी धर्मों में भक्ति के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं; लेकिन अंतिम लक्ष्य तो एक ही है, वो है ईश्वर, जैसे आज हम सब अलग-अलग रास्तों और जगहों से आनंदगढ़ आए हैं, लेकिन हम सबका लक्ष्य एक ही है और वह है ‘आनंदगढ़’! वर्षा जल की बूँदें अनेक स्थानों पर गिरती है वे सभी बूँदें नालों, नदियों द्वारा समुद्र में मिल जाती हैं. साथ ही, भले ही हम सभी विभिन्न जातियों और धर्मों का पालन करते हैं, हम सभी का गंतव्य एक ही है. इस वजह से इस दुनिया में कोई बुराई नहीं है, अगर कुछ बुरा है तो वो है हमारा नजरिया.
* सर्वज्ञ एक ईश्वर – डॉ. आनंदगढ़कर महाराज
डॉ. भगवान बाबा आनंदगडकर महाराज ने अपने मौलिक विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, हम सब इस ग्रह पर जन्म लिया है. हर एक का धर्म भले ही अलग हो जाति, संप्रदाय – संप्रदाय अलग हो. सबकी पूजा-अर्चना, पूजा-पाठ अलग-अलग हो सकता है. पहनावा, बोली, रहन-सहन अलग हो सकता है. लेकिन किसी को भी यह नहीं भूलना चाहिए कि हम सभी एक ही भगवान की संतान हैं. प्रत्येक व्यक्ति को सबका मित्र होना चाहिए और एक दूसरे के प्रति अपशब्द, बुरे विचार या वचन नहीं बोलने चाहिए. प्रत्येक मनुष्य में ईश्वर का अंश है. मानवता ही सच्चा धर्म है और मानवता ही सभी धर्मों का सार है. इसलिए हमें अपने पूरे दिल से प्रभु की ओर देखना चाहिए.