मानवाधिकार आयोग के समक्ष फिर खड़ा होना होगा जिलाधिकारी को

* अब मामला जिला ग्राहक तक्रार निवारण आयोग कार्यालय तक पक्की सड़क बनाने का

जालना: जिला प्रशासन द्वारा अपने कर्तव्य को पूरा नहीं करने के कारण नागरिकों के मानवाधिकार का हनन होने लगा है. शहर के मूर्ति बेस मामले में मानवाधिकार आयोग के निर्देश के बाद ही नागरिकों के लिए सड़क यातायात के लिए खोली गई थी. अब जिला ग्राहक तक्रार निवारण आयोग और सहायक धर्मादाय आयुक्त कार्यालय तक के पक्की सड़क को लेकर मामला सामने आया है. इस प्रकरण में जालना जिलाधिकारी, विभागीय आयुक्त, न प मुख्याधिकारी को उपस्थित रहने संबंधी समन्स मानवाधिकार आयोग मुंबई ने जारी किए है.

इस संदर्भ में समाज सेवी एड महेश धन्नावत ने मानवाधिकार आयोग के समक्ष मामला पहुंचाकर कहा था कि पक्का रास्ता नहीं होने के कारण नागरिकों को न्याय हासिल करने में परेशानी हो रही थी तथा उनके मानवाधिकारों का हनन हो रहा था. इससे पहले जिला ग्राहक तक्रार निवारण आयोग ने भी वर्ष २०१४ से पक्की सड़क बनाने की मांग को लेकर कई बार जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा था. एड धन्नावत ने भी कई बार मांग उठाई थी. जब सरकारी महकमे के कान से जूं तक नहीं रेंगी. जिसके बाद मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया गया है.

मूर्ती बेस की तर्ज पर ही अब जलना जिलाधिकारी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को २८ मार्च को मुंबई में मानवाधिकार के समक्ष उपस्थित रहना होगा. इन अधिकारियों के साथ ही ग्राहक आयोग के अध्यक्ष और सह धर्मादाय आयुक्त को भी उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए है.

* सरकारी कार्यालय निर्माण को अनुमति देने के पहले सड़क बनाई जाए

इस संदर्भ में एड महेश धन्नावत का कहना है की दोनों महत्वपूर्ण कार्यालयों के अप्रोच रोड का तत्काल निर्माण हो. आज तक सड़क नहीं बनी होने के कारण कच्ची सड़क से गुजरना जान जोखिम में डालने जैसा है. बरसात में तो कीचड़ के कारण कार्यालय तक पहुंचा मुश्किल है. इसलिए भविष्य में भी यदि किसी भी सरकारी कार्यालय के निर्माण की अनुमति दी जाती है तो उससे पहले वहां तक पहुंचने के लिए सड़क का निर्माण किया जाए ताकि नागरिकों को उनके अधिकार हासिल करने में परेशानी ना हो.