
शिक्षक गंडाल की सौर ऊर्जा से चलने वाली घास काटने की मशीन देश में तीसरी
*मजदूरों की बढ़ती लागत या अंकुरित बागों से घास हटाने के लिए विज्ञान शिक्षक संतोष गंडाल ने किया इजात
जालना:
केंद्र सरकार द्वारा पुणे जिले के खोदड में आयोजित ऑनलाइन राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता में जनता हाई स्कूल जालना के सहायक विज्ञान शिक्षक संतोष पिराजी गंडाल द्वारा सौर ऊर्जा से चलने वाली घास काटने वाली मशीन के मॉडल को देश में तीसरा स्थान मिला है. उन्होंने देशभर के 668 मॉडलों में से शिक्षक गट में सफलता हासिल की. उनकी इस उपलब्धि पर उनका सभी ओर से अभिनंदन किया जा रहा है.

केंद्र सरकार की शोध संस्थान जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था. इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार गंडाले ने सौर ऊर्जा से चलने वाली घास काटने वाली मशीन के वीडियो के साथ संबंधित वेबसाइट पर जानकारी अपलोड की. इस बीच 1 मार्च 2023 को घोषित नतीजों में उनके एक्शन मॉडल को तीसरी रैंक मिली है. इसकी सूचना उन्हें ई-मेल के माध्यम से दी गई और उन्हें मोबाइल फोन पर संदेश भेजकर संस्था के कार्यालय में निमंत्रित कर जीएमआरटी अधिकारी जेके सोलंके के हाथों ने प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.
सौर ऊर्जा संचालित लॉन घास काटने की मशीन
यह मशीन सोलर प्लेट, बैटरी, डायड (जो नॉन-रिटर्न काम करती है), ब्लेड और तार को एक प्लास्टिक पाइप से जोड़कर बनाई गई है. सूर्य के प्रकाश से उत्पन्न ऊर्जा को बैटरी में संग्रहित किया जाता है और ब्लेड-कटर को गति देने के लिए चालू किया जाता है.
* यह विचार सीताफल के बगीचे में उगने वाले खरपतवार से आया है
संतोष गंडाल का जालना तहसील के अहंकार देउलगांव में खेत और सीताफल का बाग है. इस बगीचे में खरपतवारों की लगातार वृद्धि के कारण, उन्हें हटाने के लिए मजदूरों की आवश्यकता थी, या खरपतवार नाशक एक विकल्प था. उत्पादन लागत बढ़ रही थी जिस पर लगाम लगाने के लिए उपाय सोचंते हुए विज्ञान शिक्षक ने इस सौर ऊर्जा से चलने वाले यंत्र का इजात कर दिया.
यह एक प्रायोगिक प्रयोग है, जिसके लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है
विज्ञान शिक्षक, संतोष गंडाल ने बताया कि कृषि फसलों में खरपतवार एक बड़ी समस्या है और समय पर मजदूर ना मिलते के कारण खरपतवार उग आते हैं जिसे फसलों की वृद्धि रुक ?जाती है. पश्चिम देशों में तणनाशकों पर प्रतिबंध है और इसके उपयोग पर जुर्माना लगाया जाता है. इसलिए प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना कम लागत पर निराई-गुड़ाई करने के लिए क्रियाशील मॉडल बनाने पर जोर दिया जा रहा है. यह केंद्र सरकार के शोध संस्थान द्वारा जालना के विज्ञान शिक्षक की इस खोज को सराहनीय माना गया है. आगे के शोध से बड़ी क्षमता वाली वीडिंग मशीन बन सकती है, जो भविष्य में किसानों के लिए वरदान साबित होगी.