
* १८ लाख ३२ हजार ४४० रुपए का गबन, ४८ रसीद बुक है गायब–नगर पालिका कोरोना वसूली गबन मामले में आखिरकार मामला हुआ दर्ज
* एफआईआर दर्ज करवाने में कई बार हुई आनाकानी
* एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी ने उठाया था मुद्दा
* मामले में दर्जनों बड़ी मछलियां भी फसेंगी
जालना: जालना नगर पालिका में कोरोना दंड वसुली में हुए लाखों के गबन के मामले में आखिरकार प्रभारी लिपिक संतोष अग्निहोत्री के विरुद्ध कदीम जालना पुलिस थाने में नप उप मुख्याधिकारी महेश शिंदे की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है. मामले की जांच यदि सही दिशा में होती है और पुलिस किसी के दबाव में आए बगैर जांच करती है तो इसमें न केवल नप बल्कि पुलिस महकमे और शहर के कई सरकारी शिक्षकों पर भी मामले दर्ज होने की संभावना जानकारों ने जतायी है.
कोरोना नियमों का पालन नहीं करने वालों से दंड वसूल कर सरकारी महकमे के भ्रष्टाचारियों ने उसे सरकारी खजाने में जमा करवाने के बजाए निजी तौर पर इसका उपयोग किया. मुद्दा गरमाने के कारण कईयों ने देरी से राशि जमा तो करवाई लेकिन अभी भी लाखों रुपए की वसूली और कई पावती बुक का हिसाब बाकी है. इस मामले में शनिवार को कदीम जालना पुलिस थाने में नप में कार्यरत सेवक संतोष दिनकरराव अग्निहोत्री (प्रभारी लिपिक) के विरुद्ध विविध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया.
* क्या है पूरा मामला
कोरोना दंड वसूली के दौरान जिला प्रशासन की निगरानी में जालना नगर पालिका, पुलिस महकमा और सरकारी शिक्षकों के दस्तों ने कोरोना नियमों का पालन नहीं करने वाले राहगीरों, वाहन चालकों, दुकानदारों से दंड वसूलने का अभियान शुरू किया था. नियमानुसार जिस दिन का दंड उसी दिन सरकारी खजाने में जमा होना जरुरी था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी के जालना जिलाध्यक्ष साद बिन मुबारक ने जब सूचना अधिकार के तहत हिसाब किताब की मांग की तो पहले गलत जानकारी दे दी गई. मामले के तूल पकड़ने के बाद उसकी सुनवाई के दौरान बडा घोटाला सामने आया.
* अभी तक १८ लाख ३२ हजार ४४० रुपए जमा नहीं हुए, ४८ पावती बुक भी नदारद
इस मामले के उजागर होने के बाद जो विशेष समिति का गठन कर ऑडिट करवाया गया उसमें पता चला की कार्यालय में जमा हुए पावती बुक के अनुसार 42,72,440/-रुपये जमा होना जरुरी था लेकिन प्रत्यक्ष रूप से केवल 24,40,000/- रुपए ही जमा थे. 18,32,440 का गबन जिसमें साफ नजर आ रहा था. इसके अलावा करीब ४८ पावती बुक जमा नहीं होने के कारण उसका हिसाब इसमें नहीं है. जांच के दौरान ३ बोगस पावती बुक भी जमा किए जाने की बात सामने आयी थी.
* लिपिक द्वारा इनकार करने के बाद नप के सेवक को सौंपी गई थी जिम्मेदारी

पुलिस में दी शिकायत में उपमुख्याधिकारी महेश शिंदे ने कहा की कोरोना नियमों का पालन नहीं करने वालों से सरकारी नियमानुसार दंड वसूल करने की मुहिम १५ जुलाई २०२० से शुरू की गई थी तथा ३० अप्रैल २०२२ तक जारी थी. इसके लिए जालना नगर पालिका ने जरूरी कार्रवाई करने के लिखित निर्देश लिपिक निलेश शंकरपेल्ली दिए थे. लेकिन लिपिक निलेश शंकरपेल्ली ने इस काम को करने से इनकार किया था. जिसके बाद यह जिम्मेदारी नगर पालिका कार्यालय के सेवक संतोष अग्निहोत्र जो की प्रभारी लिपिक पद पर कार्यरत थे को सौंपी गई थी.
* विविध दस्तों से उसी दिन दंड की राशि हासिल करना जरूरी था

संतोष अग्निहोत्री ने दंड वसूल अभियान के लिए अलग अलग समय अवधि में कुल ३९५ पावती बुक ली थी जिन्हें वसूली दस्तों को दिया गया था. इसमें नप के दस्तों के साथ ही पुलिस थानों के दस्ते और शिक्षक भी शामिल थे. इन दस्तों से लेखा जोखा हासिल करने की जिम्मेदारी रंगनाथ वानखेड़े लेखा (परीक्षक श्रेणी) निलेश शंकरपेल्ली (लिपिक), लक्ष्मीकांत नाकाडे (लिपीक) और सुरेश कांबले (प्र. लिपिक) को दी गई थी. इन सभी को पूरी राशि और हिसाब किताब जरूरी चालान के साथ संतोष अग्निहोत्री के पास जमा करवाने की जिम्मेदारी थी.
* जांच के दौरान केवल ३४७ पावती बुक जमा बताई गई
मामले की जांच के तहत जब ऑडिट किया गया तो कार्यालय से जारी ३९५ पावती बुक में से केवल ३४७ ही जमा होने की बात संतोष अग्निहोत्री ने कही तथा जांच समिति के समक्ष हिसाब किताब दिया. जिसमें करीब १८ लाख ३२ हजार रुपए कम थे. ४८ पावती बुक का अता पता भी नही था. ऑडिट के दौरान जो पावती बुक जमा थे उनमें से ३ बोगस होने का भी पता चला था.

* मामला एक करोड़ के गबन का अभी कईयों पर होंगे मामले दर्ज – साद बिन मुबारक
इस पूरे मामले को उजागर करने के बाद संबधीतों पर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवाने के लिए मेहनत करने वाले समाजसेवी साद बिन मुबारक का कहना रहा कि सरकारी महकमे पहले दिन से ही मामले को रफा दफा करना चाहते थे. इसमें भी केवल सेवक पद पर कार्यरत संतोष अग्निहोत्री पर मामला दर्ज किया गया है. एक तरह से उसी पर ठीकरा फोड़ा गया है. इतना बड़ा गबन एक अकेला अदना कर्मचारी नहीं कर सकता. इसमें दर्जनों भ्रष्टाचारी शामिल है. जबकि मामला जीतने का बताया जा रहा है उससे कई गुना बढ़ा है. सही जांच हुई तो एक करोड़ का गबन सामने आएंगे. इसमें जालना नप, पुलिस महकमे और शिक्षकों पर भी मामले दर्ज होना जरूरी है.
* मामला दर्ज करने में खूब चली टालमटोल
बता दे की अग्निहोत्री पर मामला दर्ज करने के लिखित आदेश लेखा परीक्षा प्रभाकर कालदाते को न प मुख्याधिकारी ने २४ नवंबर २०२२ को दिए थे लेकिन कालदाते ने ऐसा करने से इनकार किया था. इसके बाद उपमुख्याधिकारी महेश शिंदे को भी लिखित आदेश दिए देड माह से उपर हो गए थे.
* पुलिस अधीक्षक से चर्चा करने के बाद ही हो सकता मामला दर्ज
साद बिन मुबारक ने कहा की नप उपमुख्याधिकारी महेश शिंदे पिछले १५ दिनों से कदीम जालना पुलिस थाने में हर दिन पहुंच एफआईआर दर्ज करवाने के प्रयास में थे लेकिन ऐसा हो नहीं रहा था. जिसके बाद साद बिन मुबारक ने शुक्रवार को पुलिस अधीक्षक डॉ अक्षय शिंदे को सभी दस्तावेजों वाली एक किलो से अधिक वजन की फाइल बताई. जिसके बाद पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर मामला दर्ज किया गया.
* यह धाराएं लगाई गई
संतोष अग्निहोत्री पर भांदवी की धारा ४०८, ४०९, ४२०, ४६५, ४६७, ४६८, ४७१ के तहत मामला दर्ज किया गया है.
