मानवाधिकार आयोग ने नप मुख्याधिकारी पर ठोका 25 हजार का जुर्माना* मुख्याधिकारी हाईकोर्ट में करेंगे अपील

* निलंबित क्लर्क को प्रतिनिधि के रूप में भेजना पड़ा महंगा

* मुख्याधिकारी हाईकोर्ट में करेंगे अपील

जालना: महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग  की सुनवाई में प्रतिनिधित्व करने के लिए  निलंबित क्लर्क को भेजने का जालना नगर परिषद के अधिकारी का फैसला उनके लिए महंगा साबित हुआ है. आयोग ने  मुख्य अधिकारी पर 25,000 रुपये का जुमार्ना लगाया और जिलाधिकारी  को जुमार्ना वसूल कर शिकायतकर्ता को देने का आदेश दिया.  आयोग ने मुख्य अधिकारी को उसके सामने पेश होने के लिए भी कहा.

जालना की एक सेवानिवृत्त शिक्षिका, सुरेखा साने, जिन्हें कथित रूप से सेवानिवृत्ति लाभों से वंचित कर दिया गया था, ने 17 अगस्त, 2022 को मानवाधिकार आयोग में नगर परिषद  के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी.  शिकायत  के अनुसार, शिक्षिका  साने 28 फरवरी, 2022 को एक सहायक के रूप में सेवानिवृत्त हुईं.   सेवा पेंशन एवं अन्य स्वीकार्य भत्तों के वितरण हेतु शिक्षा अधिकारी, नगर परिषद, जालना को चाहिए था की वे इस संदर्भ में एक प्रस्ताव  शिक्षा विभाग, औरंगाबाद के उप निदेशक को भेजते लेकिन नप शिक्षा अधिकारी, ने जानबूझकर प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए.  

इस संदर्भ में बार बार नप प्रशासन के संबंधित अधिकारियों से पत्र व्यवहार किया गया. लेकिन ७ माह तक भी जब उन्हें न्याय नहीं मिला तो उनके परिवार पर भूखे मरने की नौबत आन पडी. शिक्षिका खुद भी  हृदय रोग से पीड़ित है.   

इसके बाद शिक्षिका ने मानवाधिकार आयोग से शिकायत की.  27 अगस्त, 2022 को आयोग को  शिकायत मिली और आयोग ने इसका संज्ञान लिया.  

मामले की सुनवाई के लिए 10 जनवरी को मुख्य अधिकारी ने अपनी ओर से एक लिपिक संतोष अग्निहोत्री को आयोग के समक्ष मामले की पैरवी करने के लिए भेजा. सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता ने आयोग को बताया कि जालना नगर परिषद ने इस क्लर्क को निलंबित कर दिया है. इसके बाद न्यायमूर्ति तातेड़ ने मुख्य अधिकारी पर जुमार्ना लगाते हुए निर्देश दिया कि वह शिकायतकर्ता की पेंशन के संबंध में सभी प्रासंगिक दस्तावेज 18 फरवरी या उससे पहले उप निदेशक के कार्यालय को अग्रेषित करें और आयोग के समक्ष इस आशय का एक हलफनामा दायर करें. जालना जिलाधिकारी को  यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि अधिकारी द्वारा भुगतान किया गया जुमार्ना शिकायतकर्ता को दिया जाए. 

* हाईकोर्ट में देंगे चुनौती

इस संदर्भ में मुख्याधिकारी संतोष खांडेकर ने कहा कि लगाए गए जुर्माने को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी तथा सेवानिवृत्त शिक्षिका को पेंशन क्यों नहीं दी गई है इसकी जांच की जाएगी.