
मानवाधिकार आयोग के खिलाफ मुख्य सचिव हाईकोर्ट में * जालना के ऐतिहासिक बेसों की सुरक्षा का मामला
जालना: जालना का मूर्ति बेस प्रकरण रुकने का नाम नहीं ले रहा है. भले ही डेड साल बाद मानवाधिकार आयोग के सख्त निर्देश के चलते रास्ता खुल गया है और लोगों ने राहत की सांस ली है. वही अब शहर के अन्य ऐतिहासिक बेसों की सुरक्षा के संदर्भ में जो निर्देश आयोग ने दिए है उससे नाखूश राज्य के मुख्य सचिव, उपविभागीय अधिकारी औरंगाबाद और जालना जिलाधिकारी ने मुंबई हाईकोर्ट की मुंबई बेंच में रिट पिटीशन दायर करते हुए मानवाधिकार आयोग अपनी सीमाओं से बाहर काम करने का मुद्दा उठाया.
* इन लोगों को बनाया गया पार्टी
हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर करते हुए मानवाधिकार आयोग के साथ ही इस मामले को आयोग तक पहुंचाने वाले जालना के समाजसेवी एड महेश धन्नावत, जालना नगर पालिका के मुख्याधिकारी को भी पार्टी बनाया गया है.

* ऐसे कौन से निर्देश जारी कर दिए थे मानवाधिकार आयोग ने.
गौरतलब है की जालना का मूर्ति बेस क्षतिग्रस्त होने के बाद नप, जिलाधिकारी और उप विभागीय अधिकारी ने कोई कदम नहीं उठाया था. जालना के एड धन्नावत ने इस मामले को मानवाधिकार आयोग तक पहुंचाकर जनता के हित में रास्ता खोलने की मांग की थी. जिसके बाद मानवाधिकार आयोग के सख्त रवैये के चलते बेस से सटे निर्माण को तोड कर रास्ता खोला गया था. लेकिन इसके बाद आयोग ने इस मामले में प्रशासनिक लापरवाही को भांपते हुए मूर्ति बेस की तरह जर्जर हो चुकी शहर की अन्य ऐतिहासिक इमारतों और दरवाजों का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा था. बस इसी निर्देश पर प्रशासन के पसीने छूट गए.
* मुख्य सचिव को ६ फरवरी को हलफनामा देना था
इसमें आयोग ने नप, जालना जिलाधिकारी, औरंगाबाद उपविभागीय अधिकारी की लापरवाही को दर्शाते हुए राज्य के मुख्य सचिव को संपूर्ण मामले की पूरी जांच कर ६ फरवरी को रिपोर्ट और हलफनामा देने के निर्देश दिए थे. इसी के साथ मुख्याधिकारी जालना को भी ऐतिहासिक दरवाजों की सुरक्षा के कौन से इंतजाम किए है इसका हलफनामा सिविल टेक नासिक की रिपोर्ट के साथ देने को कहा था.
* क्या है रिट पिटीशन
इस रिट पेटीशन को राज्य के मुख्य सचिव, औरंगाबाद उपविभागीय अधिकारी और जालना जिलाधिकारी ने दायर करते हुए कोर्ट को बताया की जहां तक मूर्ति बेस का रास्ता खोलने की मांग थी वो मानवाधिकार आयोग के कार्यक्षेत्र में था. नागरिकों को परेशानी ना हो इसलिए रास्ता खोलना जरुरी था. लेकिन अन्य ऐतिहासिक बेस जो की अभी भी मुस्तैद खडे है इनको लेकर किसी भी तरह के निर्देश या आदेश जारी करने का मानवाधिकार आयोग को कोई हक नहीं बनता.
* बेस गिर कर यदि कोई मर गया तो मानवाधिकार का हनन होगा या नहीं यह बताए प्रशासन – एड धन्नावत
इस मामले में जालना के एड महेश धन्नावत को भी पार्टी बनाया गया है. एड धन्नावत ने बताया कि राज्य के मुख्य सचिव और प्रशासन के अधिकारियों को चाहिए था की वे इस मामले को सही रूप में लेते. लेकिन हाईकोर्ट में जाकर कार्यक्षेत्र का हवाला देते हुए इन सभी ने अपनी कामचोरी उजागर की है. अब यदि जालना के ९ ऐतिहासिक बेस जो जर्जर अवस्था में है उसके नीचे से कोई गुजर रहा हो और दरवाजा ढह जाए तो क्या यह मानवाधिकार की कक्षा में नहीं होगा? मूर्ति बेस देड साल बंद था. कई लोग अस्पताल जाने के लिए परेशान थे. इस तरह की तकलीफ दोबारा ना हो यही मंशा सभी की है. यदि मानवाधिकार आयोग के अधिकार को सीमित कर दिया जाएगा तो लोगों को राहत कौन दिलाएगा.
* इसमें मुख्यमंत्री और सरकार के रवैये पर सभी की नजर

राज्य के मुख्य सचिव ही जब कोर्ट में पहुंच चुके है तो जालना की जनता भी इस मामले को लेकर अब मुख्यमंत्री का ध्यान इस ओर दिलाने की तैयारी में है. सूत्रों की मानें तो जालना का शिष्टमंडल शीघ्र ही मुख्यमंत्री से मिलकर जालना की इस बड़ी समस्या को जड से हल करने की मांग करेंगे. अब मुख्यमंत्री और जिले के पालक मंत्री का इसमें क्या रवैया रहता है यह देखने वाली बात होगी.
