चर्च में तोड़फोड़ और समाज पर हो रहे अन्याय अत्याचार के विरोध में हजारों की संख्या में नागरिक उतरे सड़कों पर * जालना में ईसाई समाज ने निकाला भव्य मोर्चा

जालना:  शांति का संदेश देने वाले ईसाई धर्म के मानने वालों पर देश और राज्य में हमले किए जा रहे है, समाज के साथ अन्याय और अत्याचार किया जा रहा है. इस सब के विरोध में मंगलवार को जालना जिलाधिकारी कार्यालय पर हजारों की संख्या में समाज के नागरिकों ने मोर्चा निकालकर जिलाधिकारी के मार्फत मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा. इतनी बड़ी संख्या में महिला और पुरुष सड़कों पर उतरने के चलते बडी संख्या में पुलिस बंदोबस्त भी तैनात किया गया था. 

फोटो: ईसाई समाज द्वारा अपनी विविध मांगों को लेकर मंगलवार को जालना जिलाधिकारी कार्यालय पर मोर्चा निकाला गया. 

जालना शहर के अंबड चौफुली से जिलाधिकारी कार्यालय तक निकाले गए इस मोर्चे में ईसाई समाज के नागरिक अपनी विविध मांगों के फलक अपने हाथों में लिए हुए थे. 

जिलाधिकारी के मार्फत मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया जिसमें कहा गया है कि, भारतीय संविधान ने देश के  हर नागरिकों को व्यक्ती स्वतंत्रता दी है, धार्मिक स्वतंत्रता का भी भारत के नागरिकों को पूरा अधिकार दिया गया है.  लेकिन धर्म के नाम पर ही लोग  देश में कई जगह पर चर्च में तोड़फोड़ कर रहे है और ईसाई धर्मगुरुओं पर हमले किए जा रहे है. 

यह भी कहा गया कि ईसाई धर्म के पवित्र शास्त्र बाइबल पूरी दुनिया में मानवता के कल्याण का संदेश देता है तथा सभी के लिए प्रेरणादायक है. पवित्र शास्त्र द्वारा बताए गए रीति रिवाजों को धर्मगुरुओं द्वारा पूरा किया जाता है. ईसाई धर्म में बाप्तिसमा का विशेष महत्व होता है. लेकिन भारत में कुछ लोग ईसाई धार्मिक अनुष्ठानों को लेकर बिना वजह विवाद खडा कर रहे है, धर्मगुरुओं पर हमले किए जा रहे है, चर्च में जाकर तोड़फोड़ की जा रही है. स्त्रियों के साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है. प्रार्थना के समय बिना वजह व्यवधान कड़े किए जा रहे है. 

ऐसी गैरकानूनी हरकतों को अंजाम देने के बावजूद ये लोग खुले आम घुम रहे है. पुलिस और प्रशासन भी ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप भी आंदोलनकारियों ने लगाया.  ऐसे समाज कंटकों पर लगाम लगाने की लिए देश में कडा कानून बनाने की मांग इस समय की गई. 

यह भी कहा गया की देश के विकास में ईसाई समाज ने कभी भी अडंगे खडे नहीं किए. इस समाज ने देश के विकास में बड़ा योगदान निभाए है. प्रभु ईसा मसीह के शांति के संदेश को सभी तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है.

यह भी कहा गया कि धर्म परिवर्तन के लिए ईसाई धर्म गुरुओं द्वारा कभी भी जोर जबरदस्ती नहीं की जाती है. प्रभु ईसा मसीह की शिक्षा है मानव से प्रेम करो, जो लोग अपनी इच्छा से ईसाई धर्म स्वीकार रहे है वे धर्म परिवर्तन कर रहे है लेकिन देश की नागरिकता नही छोड रहे है. देश में बने कानून का पालन सभी को करना जरूरी है और जो लोग कानून हाथ में ले रहे है उन्हें विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होना जरूरी है. 

यह भी कहा गया कि देश में ईसाई समाज का विकास अन्य समाजों की तुलना में नही के बराबर हुआ है. ईसाई समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार को नई नई योजनाएं लाना जरूरी है.  इसके लिए ख्रिस्ती समाज विकास आयोग का गठन करने की भी मांग की गई. यह भी कहा गया कि मौलाना आझाद अल्पसंख्याक महामंडल से किसी समाज के युवाओं को किसी भी तरह का लाभ हासिल नहीं हो रहा है. इस मंडल द्वारा ईसाई समाज के आवेदनों को बिना उत्तर दिए ही कचरे के डिब्बे में डाला जा रहा है. इसका भी निषेध इस समय किया गया. 

इस समय  डेविड घूमारे, रविकांत दानम, रविराज कांबले, पास्टर अविनाश लोखंडे, शैलेश घुमारे, अब्राहाम घुमारे, पास्टर जगदीश चौधरी,  रेव्ह एमडी जाधव, जॉर्ज शिंदे, सिस्टर प्रिती खंदारे, सिस्टर नंदा चौधरी, सचिन खरात, रेव्ह  राज (सेंट मेरिज चर्च ) आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए.

इस आंदोलन को दलित समाज के नेता सुधाकर निकालजे, वंचित बहुजन आघाडी के अकबर इनामदार, पिपल्स फाउंडेशन के सुनील भालतिलक ने सभी समर्थन दर्शाया था. कार्यक्रम का सूत्रसंचालन रेव्ह डी वाय भालेराव. इस समय सर्वपक्षिय ख्रिस्ती समाज के नागरिक बडी संख्या में उपस्थित थे.