बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए जिले में नए थानों की दरकार

* चार नए पुलिस थानों का प्रस्ताव एक साल से विचाराधीन

जालना: जालना शहर और जिले में आपराधिक गतिविधियां बढ़ने लगी है. क्षेत्र के विधायक कैलाश गोरंट्याल ने हाल ही में जालना का बिहार होने का अंदेशा जताते हुए पुलिस महकमे पर दबाव में काम करने का भी आरोप लगाया है. खुले आम पिस्तौल, तलवार का उपयोग, महिलाओं के साथ छेडछाड की घटनाएं बढ़ रही है. ऐसे में जिले को नए पुलिस थानों के साथ ही अतिरिक्त पुलिस बस की जरूरत है. लेकिन प्रस्ताव एक साल से विचाराधीन ही है.

अपराधिक घटनाओं को रोकना के साथ ही दर्ज मामलों के जल्द निपटारे के उद्देश्य से जिला पुलिस महकमे ने जालना शहर में काद्राबाद में नया पुलिस थाना स्थापित करने साथ ही घनसावंगी के तिर्थपूरी, कुंभार पिंपलगांव और भोकरदन के राजूर में नए पुलिस थानों का प्रस्ताव भेजा है. लेकिन एक साल के बाद भी यह प्रस्ताव मंत्रालय स्तर पर प्रलंबित ही है. उम्मीद है की आगामी वर्ष में इसे मंजूरी मिलेगी. 

जिले में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कुल 18 पुलिस थाने हैं. बढ़ते साइबर अपराध की जांच के लिए एक नया साइबर थाना भी बनाया गया है. साथ ही बड़े वित्तीय अपराधों की जांच के लिए वित्तीय अपराध शाखा के संचालन को भी अलग कर दिया गया है. लेकिन बढ़ती जनसंख्या की तुलना में  उपलब्ध पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या अपर्याप्त है.

वर्तमान में जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए करीब 1700 पुलिस अधिकारी व कर्मचारी काम कर रहे हैं. पिछले एक साल में चोरी, सेंधमारी, डकैती, रेप और हत्या की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है.  पुलिस थानों से दूर स्थित बड़े बाजार गांवों में भी अपराध की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं. इसलिए पुलिस अधीक्षक डॉ अक्षय शिंदे ने कुछ मौजूदा थानों की सीमाओं को विभाजित कर नए थाने बनाने का प्रस्ताव पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय के माध्यम से वरिष्ठ स्तर पर भेजा है.

इनमें  घनसावंगी के तीर्थपुरी और कुम्भार पिंपलगांव, भोकरदन के राजुर के साथ ही जालना शहर के काद्राबाद में नए पुलिस थाने की जरुरत को दर्शाया गया है.    पुलिस महानिदेशक कार्यालय द्वारा समय-समय पर मांगी गई सूचना जिला पुलिस प्रशासन द्वारा उपलब्ध करायी गयी है.