
रिक्षा चालकों की मुजोरी बढी, शिक्षकों और स्कूल प्रशासन से बदतमीजी करने लगे
* भेड़-बकरियों की तरह भरा जा रहा है छात्रों को
जालना: जालना शहर में यातायात व्यवस्था वैसे भी पहले से ही चरमरा चुकी है. ऐसे में रिक्शा चालक विशेषकर स्कूली विद्यार्थियों का परिवहन करने वाले रिक्शा और व्हॅन चालक अपनी गाड़ियों में भेड़ बकरियों की तरह बच्चों को ठूंस रहे है. जब स्कूल के शिक्षक और स्कूल प्रशासन उन्हें समझाने का प्रयास कर रहा है तो उलटे उनके साथ मुजोरी करने की घटनाएं बढ़ने लगी है.

शुक्रवार को भी कुछ इसी तरह का मामला पेश आया. जब एक स्कूली की शिक्षिका ने रिक्षा और व्हॅन में दर्जनों बच्चों को ठूंस ठूंस कर भरे जाने के प्रयास को रोकना चाहा तो रिक्षा चालक और व्हॅन चालक ने आप लोग हमे परेशान क्यों कर रहे है हमें जो करना है हम करेंगे यह कहते हुए मुजोरी शुरु कर दी. नियमों का हवाला देने पर भी इन लोगों के कान की जूं तक नहीं रेंगी.
* आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस को कड़े कदम उठाने की जरुरत
कुछ सप्ताह पहले ही आरटीओ के विविध दस्तों ने स्कूलों में जाकर बच्चों और स्कूल प्रशासन का नियमों को लेकर मार्गदर्शन किया था. लेकिन यह मुहिम केवल नाम के लिए ही नजर आयी. प्रत्यक्ष रूप से सड़कों पर रिक्षा में १५ से अधिक बच्चे और व्हॅन में तो छोटे बच्चे होने पर दो दर्जन तक विद्यार्थियों को ठुसे जाने के नजारे को इन लोगों ने मानों अनदेखा कर दिया है. आरटीओ की शायद की कभी शहर में कार्रवाई हुई हो. ट्रैफिक पुलिस भी स्कूलों के बाहर कम ही नजर आती है.

* दुर्घटना का अंदेशा

करीब दो दशक पहले इसी तरह ठुस ठुस कर भरे रिक्षा से एक बच्चा गिर कर उसी रिक्षा के पहिये के नीचे दब कर मर गया था. उस समय रिक्षा में विद्यार्थी संख्या को लेकर हो हल्ला हुआ था. आज जालना शहर के करीब १०० से अधिक स्कूलों के सामने जो नजारा नजर आ रहा है उससे तो यही लग रहा है की पुलिस प्रशासन को शायद कोई बड़े हादसे का इंतजार है.