
जर्मन कृषक लॉरा ने बांस और अन्य फसलों की खेती की तकनीक सीखी
जालना/प्रतिनिधि- जर्मनी की 24 वर्षीय कृषि अनुसंधानकर्ता मिस लॉरा, जो भारत में कृषि अध्ययन के लिए यात्रा पर है ने जालना शहर से सटे खरपुडी में प्रगतिशील किसान डॉ. सुयोग कुलकर्णी के खेत में पहुंच अनार, बांस की खेती व अन्य फसलों की जानकारी ली. उन्होंने पूरा दिन इन फसलों के बारे में जानने और उनका बारीकी से अध्ययन करने में बिताया और कहा कि वे जर्मनी में भी बांस से बने उत्पादों के प्रचार-प्रसार पर ध्यान देंगी.
सुश्री लॉरा पिछले कुछ महीनों से भारत की यात्रा पर हैं ताकि भारत में कृषि के लिए उपयुक्त जलवायु, कृषि कैसे की जाती है, कौन सी फसलें और फलों की फसलें उगाई जाती हैं. कृषि में आधुनिक तकनीक के बारे में जानने के लिए उन्होंने हाल ही में महाराष्ट्र में मराठवाड़ा मंडल के पुणे और औरंगाबाद जिले का दौरा किया. मराठवाडा दौरे के तहत जालना के खरपुडी में समय बिताया.
इस अवसर पर लॉरा ने बाँस के खेत एवं अनार के बाग में जाकर जानकारी प्राप्त की. जर्मनी में ग्रीष्म काल 48 से 50 सेल्सियस के बीच रहता है. सर्दियों में तापमान माइनस 2 से 3 सेल्सियस रहता था. जर्मनी के वातावरण में बांस को उगाया जा सकता है या नहीं, और बांस के उत्पादों के उपयोग के बारे में शोध करके जागरूकता पैदा करने का संकल्प इस समय उन्होंने लिया.

इस समय डॉ सुयोग कुलकर्णी ने कहा की उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया में एक कृषि प्रधान देश के रूप में जाना जाता है और कृषि क्षेत्र एक बड़ी ताकत है. विदेशी कृषि विद्वान यहां कृषि की तकनीक सीखने आते हैं. एक जर्मन कृषि शोधकर्ता मिस लॉरा का उनके फार्म पर अध्ययन दौरा निश्चित रूप से सुखद होने की बात है यह भी डॉ कुलकर्णी ने कहा.
इस अवसर पर प्रगतिशील किसान दीपक जोशी, उटवद के योगेश शिंदे, नेर के शैलेश बजाज, भारत मंत्री, शिवाजी देठे, गोविंद देठे और परिसर के किसान बड़ी संख्या में उपस्थित थे. इस समय डॉ कुलकर्णी ने लॉरा का सम्मान पारंपरिक रूप से रुमाल, टोपी और बांस का पौधा देकर किया.