कोरोना दंड वसूली में एफआईआर दर्ज करने के लिए दोबारा हुए आदेश जारी

* इस बार उपमुख्याधिकारी को सौंपी गई मामला दर्ज करने की जिम्मेदारी

 * शिकायतकर्ता का आरोप 40 आरोपियों को बचाने के लिए एक सेवक पर फोड़ा गया ठिकरा 

जालना: कोरोना काल में मास्क सहित अन्य नियमों का उल्लंघन करने वालों से वसूली गई राशि में 18 लाख 32 हजार के गबन तथा 51  रसीद बुक अभी तक जमा नहीं होने के चलते नप मुख्याधिकारी ने सेवक संतोष अग्निहोत्री पर पुलिस मामला दर्ज करने का पत्र लेखपाल प्रभाकर कालदाते को 2 माह पहले दिया था लेकिन लेखपाल ने ऐसा करने से मना कर दिया. जिसके बाद मंगलवार को एक बार फिर पत्र निकाला गया तथा इस पर नप उपमुख्याधिकारी महेश शिंदे को संबंधीत के विरुद्ध मामला दर्ज करने को कहा है.

फोटो: साद बिन मुबारक

जालना में कोरोना दंड वसूली में हुए इस गबन की जांच में पहले दिन से ही नगर पालिका की लापरवाही तथा सिरजोरी साफ नजर आ रही है. काफी उठापटक के बाद जांच समिति बैठाकर जब ऑडिट किया गया तो पता चला था की कुल 42 लाख 72 हजार 440 रुपए जमा होना जरुरी थे. लेकिन प्रत्यक्ष रूप से केवल 24 लाख 40 हजार रुपए ही जमा किए गए है. बचे हुए 18 लाख 32 हजार 440 रुपए का हिसाब आज तक नहीं मिला है. इसके अलावा 51 रसीद बुक जो नगर पालिका द्वारा वसूली दस्तों को दिए गए थे उनका भी पता नहीं चल सका है. जबकि तीन बोगस रसीदी बुक जमा करवा दी गई थी.

इस पूरे मामले में जांच के बाद सेवक संतोष अग्निहोत्री को दोषी ठहराते हुए नप मुख्याधिकारी संतोष खांडेकर ने २४ नवंबर २०२२ को लेखपाल प्रभाकर कालदाते के नाम पत्र जारी कर उन्हेंन अग्निहोत्री के विरुद्ध मामला दर्ज करने को कहा था. लेकिन लेखपाल यह कहते हुए आनाकानी कर रहा था की जब कार्यालय में उनसे भी वरिष्ठ पद पर अधिकारी कार्यरत है तो उन्हें क्यों कहा जा रहा है. आखिरकार शिकायतकर्ता द्वारा बार बार इस मामले में पूछताछ करने पर मुख्याधिकारी ने 3 जनवरी मंगलवार को उपमुख्याधिकारी को पत्र जारी कर उन्हें इस मामले में एफआईआर दर्ज करने को कहा है. 

* 40 लोगों को बचाने के लिए रचा जा रहा है षड्यंत्र – साद बिन मुबारक

इस मामले में शिकायत करने वाले एण्टी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी के जालना जिलाध्यक्ष साद बिन मुबारक का कहना है कि मामला 18 लाख के गबन का नही है बल्कि करीब 1 करोड़ से अधिक की धांधली का है. जिसमें जालना नगर पालिका, तहसील विभाग, पुलिस महकमे के साथ ही शहर के स्कूले के शिक्षकों का भी समावेश है जिन लोगों ने वसूली दस्ते में शामिल होकर दंड तो वसूला लेकिन उसी दिन  जमा नहीं करवाया. सरकार के इस पैसों का निजी स्तर पर उपयोग हुआ है जो अपराध है. शिकायत दर्ज होने के बाद आनन फानन में पैसे जमा किए गए है. इसमें 40 से अधिक लोगों पर एफआईआर होना जरूरी है. केवल एक पर ही ठिकरा फोडकर उसे भी किसी तरह बचाने का असफल प्रयास किया जा रहा है. साद बिन मुबारक की माने तो इस मामले की सीबीआई तथा ईडी के तहत जांच की मांग वो करेंगे.