शक्कर कारखाना शुरू ना हो इसलिए विरोधक खडे कर रहे है रोडे- अर्जुन खोतकर

* मेरे राजनीतिक विरोधक वास्तव में किसान विरोधी

जालना: जब जब भी रामनगर शक्कर कारखाना  (अर्जुन शुगर इंडस्ट्रीज) को किसानों के हित में शुरू करने की दिशा में प्रयास किए जाते है तब – तब मेरे राजनीतिक विरोध जनता और किसानों की दिशाभूल कर इस कारखानें को शुरु ना होंने देने के षडयंत्र में जुट जाते है. लेकिन किसान विरोधी मंसूबों को मैं पूरा होने नहीं दूंगा. यह पलटवार पूर्व राज्यमंत्री अर्जुन खोतकर ने प्रेस नोट जारी कर किया. 

पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर ने कहा कि पिछले वर्ष दीपावली स्नेह मिलन में मैंने शक्कर कारखाने को शुरू करने की घोषणा की थी बस तभी से मेरे राजनीतिक विरोधक कारखाना शुरू ना हो इस दिशा में काम करने लग गए है. ईडी ने भी जो कार्रवाई की थी वो गलतफहमियों का ही नतीजा था. इसी वजह से शक्कर कारखाना शुरु होने में देरी हुई. अब जबकि कारखाना शुरू करने की दिशा में नए से प्रयास किए जा रहे है तो मेरे विरोधक विधायक कैलाश गोरंट्याल और उनके समर्थक ही  किसानों की दिशाभूल करने में लग गई है.  उन्होंने यह भी कहा कि विरोधी इससे अधिक कुछ नही कर सकते उन्हें केवल दिशाभूल करना ही आता है. 

* जालना शक्कर कारखाने का व्यवहार पूरी तरह कानूनी दायरे में 

अर्जुन खोतकर ने कहा की किसान विरोधी भूमिका लेने वालों के गलत मंसूबों को वो पूरा होने नहीं देंगे. उन्होंने कहा की जालना शक्कर कारखाने की खरीदी का जो व्यवहार हुआ है वो पूरी तरह कानूनी दायरे में रहकर किया गया है तथा सभी नियमों का पालन हुआ है. राज्य के अन्य शक्कर कारखानों को लेकर राज्य सरकारी बैंक ने जिन नियमों का पालन करने को कहा था जालना शक्कर कारखाने के लिए भी उन सभी नियमों का पालन किया गया है. 

अर्जुन खोतकर

* किसान पुत्र को कारखाना मिलने से रईसों के पेट में हो रहा है दर्द

पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर ने कहा कि रईसों को यह कारखाना खरीदना नहीं जमा तथा एक किसान पुत्र को कारखाना मिल गया. यही वजह है कि विरोधियों का पेट दुख रहा है.  अर्जुन खोतकर ने यह भी कहा की इस कारखाने का कोई भी साहित्य चोरी नहीं हुआ है. कारखाने की निगरानी करने के लिए  अर्जुन शुगर इंडस्ट्रीज पूरी तरह सक्षम है. 

* यदि विरोधियों के बातों में दम है तो वे अदालत में जाकर इन्साफ क्यों नहीं मांगते?

इस समय अर्जुन खोतकर यह कहने से नहीं चूके कि मुझ पर आरोप लगाने वालों की बातों में यदि सच्चाई है तो फिर विरोधी किसानों और कर्मचारियों की दिशाभूल क्यों कर रहे है. उन्हें चाहिए की वे राज्य सरकारी बैंक के निर्णय के विरोध में अदालत में जाकर इन्साफ की गुहार लगाए. 

* कारखाना शुरू होगा यह बात पत्थर की लकीर

अर्जुन खोतकर ने कहा की सभी तरह की कानूनी उलझनों को सुलझाने के बाद वे कारखाना शुरू करेंगे तथा उनकी यह बात पत्थर की लकीर है. अब जरूरी यह है कि किसान और कर्मचारी विरोधियों के बहकावे में ना आए.