
मूर्ति बेस मामले में अब महाराष्ट्र शासन के मुख्य सचिव से मांगी गई रिपोर्ट
* महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने जारी किए समन
* जालना नप, जिलाधिकारी और विभागीय आयुक्त की कार्यप्रणाली पर जताई नाराजगी
जालना: जालना शहर के क्षतिग्रस्त हुए मूर्ती बेस के मुख्य हिस्से को तोडकर तथा उसके आस पास के परिसर की इमारतों को हटाकर रास्ता एक साल बाद जनता के लिए खोल दिया गया लेकिन मानवाधिकार आयोग के समक्ष यह मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. आयोजन ने जालना नप, जिलाधिकारी और विभागीय आयुक्त की कार्यप्रणाली पर नाराजगी दर्शाते हुए महाराष्ट्र शासन के मुख्य सचिव को समनस् जारी कर पूरी रिपोर्ट तलब की. इस मामले में अगली सुनवाई ६ फरवरी को होगी.

मूर्ती बेस के बंद पड़े मार्गाें से जनता को हो रही परेशानी के चलते जालना के समाजसेवी एड महेश धन्नावत ने मानवाधिकार आयोग से शिकायत की थी. जिसके बाद आनन फानन में जालना जिलाधिकारी और नगर पालिका ने बेस के क्षतिग्रस्त हिस्से को हटा दिया तथा आसपास की इमारतों को हटाकर रास्ता खोल दिया था.
* सभी दरवाजों की जांच की मांग के बाद प्रशासन की हो रही किरकिरी

इस मामले में एड महेश धन्नावत ने आयोग को बताया थी की जालना शहर में कई ऐतिहासिक दरवाजे और इमारते है. समय रहते उनकी जांच कर उन्हें या तो दुरुस्त किया जाए या हटा दिया जाए ताकि मूर्ती बेस जैसे मामले से दोबारा रुबरु ना होना पडे. बस इसकी जांच की प्रक्रिया के तहत जलना नप से लगाकर महाराष्ट्र शासन की कार्यप्रणाली पर आयोग ने एक तरह से प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया.
* आयोग ने इन मुद्दों पर जताई नाराजगी
गौरतलब है कि प्रशासन की ओर से नगर पालिका अभियंता सैय्यद सऊद ने आयोग को बताया की जालना शहर में ऐसे ९ ऐतिहासिक दरवाजे और भी है जिनमें पानी बेस, दर्गाह बेस, हैद्राबाद बेस, मियासाहब दर्गा बेस, संतोषवाडी स्थित मोदीखाना की बेस, मुक्तेश्वर द्वार, गणपति गली रोड पर स्थित दो बेस और पुराना जालना के गवली गली स्थित बेस का समावेश है. इन बेस के तसवीरे जब आयोग ने देखी तो नाराजगी जतायी. कई बेसों पर पौधे उगे हुए नजर आए.आयोग का कहना रहा की इन बेस पर आज तक भी नप द्वारा एक भी पाई(पैसा) खर्च नहीं किया गया. रखरखाव की बात तो दूर साफ सफाई भी नहीं की गई. नप ने जब ये नही किया तो जिलाधिकारी ने भी कुछ कार्रवाई नहीं की तथा विभागीय आयुक्त ने भी कुछ नही किया.

अब महाराष्ट्र शासन के मुख्य सचिव को समन जारी कर इस हुई लापरवाही को लेकर संपूर्ण रिपोर्ट देने को कहा गया.
* गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज की कार्यप्रणाली पर भी जताई नाराजगी
जब नप अभियंता सैय्यद सऊद ने आयोग को बताया की इन ९ बेस की ऑडिट रिपोर्ट देने के लिए गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज औरंगाबाद से संपर्क किया गया तो उन्होंने इसके लिए जरुरी स्टाफ उपलब्ध नहीं होने की बात कहकर स्ट्रक्चरल आॅडीट से नकार दिया. जिसके बाद अब प्राइवेट फ्रम से स्ट्रक्चरल आॅडीट करने के लिए उसे २ लाख १२ हजार ४०० रुपए का चेक दिया गया है. जिसकी रिपोर्ट १५ दिन में मिलेगी. इस पर आयोग ने गर्व्हमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज की कार्यप्रणाली को लेकर भी तीखा रूप दिखाया तथा प्राचार्य से कहा गया है कि स्टाफ कब से कम है, किस वजह से पूरा स्टाफ कार्यरत नही है. बिना स्टाफ के कामकाज कैसे चल रहा है. इन सभी मुद्दों की जानकारी आयोग को दी जाए.

* जो जिम्मेदारी से भागेंगे उन्हें पद छोड़ देना चाहिए- एड धन्नावत

इस मामले में एड महेश धन्नावन ने कहा की मूर्ति बेस का रास्ता एक साल से बंद था. लोग आंदोलन, उपोषण करते रहे लेकिन जिम्मेदारी प्रशासनिक महकमे केवल समय निकालने का काम करते रहे. मानवाधिकार आयोग में मामला पहुंचने पर रास्ता भी खुल गया तथा एक एक कर नप, जिलाधिकारी कार्यालय और विभागीय आयुक्त कार्यालय की लापरवाह कार्यप्रणाली की पोल भी खुल रही है. वास्तव में जो गैर जिम्मेदारी अधिकारी है जो अधिकार काम से दूर भागते है ऐसा को सरकारी पेशे में रहने की जरुरत नहीं क्योंकि इन जैसों से ही जनता की परेशानियां हल होने के बजाय और भी बढ़ जाती है.
