वक्फ बोर्ड निर्णय के खिलाफ मंत्रालय में अपील

दर्गा हजरत जानुल्लाह शाह २१०० करोड़ संपत्ति का मामला

जालना: महाराष्ट्र राज्य वक्फ मंडल ने शहर की वक्फ संस्थान दर्गा हजरत जानुल्लाह शाह के व्यवस्थापन की जिम्मेदारी खुद्दाम कमेटी को मंजूर करने का प्रस्ताव पारित किया है. दरगाह के खादिम मोहम्मद जावेद मो युसुफ ने बोर्ड के इस निर्णय के खिलाफ अल्पसंख्यांक विकास विभाग राज्य मंत्रालय के सचिव से अपील की है. २१०० करोड की संपत्ती वाली संस्था की जिम्मेदारी फ्रॉड कमेटी को देने का आरोप कर संबंधीतों पर धारा ४२० के तहत मामला दर्ज करने को कहा है.

* नियमों को ताक पर रख पारित प्रस्ताव

मोहम्मद जावेद ने कहा, इस दर्गा का व्यवस्थापन वर्ष १९६० से वक्फ बोर्ड के पास है. इसी दर्गा संस्थान शहर के हार्ट ऑफ द सिटी में ४७० एकर भूखंड पर ४०० से अधिक किरायेदार है. इसके अलावा दर्गा की मिल्कियत में सोने, चांदी और तांबे के सामान, लंगर में उपयोग करने वाली पुश्तैनी विरासत के रूप में २०० से अधिक ऐतिहासिक सामग्री है. प्रस्ताव को मंजूरी नियमों को ताक पर रख दी गई है. जिससे वक्फ की संपत्ति को नुकसान होगा. आरोप यह भी है कि डॉ जाकिर नाइक की विचारधारा वाले लोगों की कमेटी को गलत तरीके से मंजूरी मिली है.

*आक्षेप को लेकर एकतरफा हुई सुनवाई

शेख मुजीबुद्दीन (निवासी रांजणी तहसील घनसावंगी) सहित अन्य ने वक्फ अधिनियम १९९५ की धारा ६९ के तहत वक्फ बोर्ड को २०१८ में व्यवस्थापन की जिम्मेदारी देने का प्रस्ताव दिया था. इस प्रस्ताव को लेकर मो जावेद ने ३ अगस्त २१ को आक्षेप दर्ज कर कहा था कि, ११ लोग जिनका प्रस्ताव है उनके पास मुतवली का प्रमाणपत्र नहीं है. जोकी धारा ६९ का उल्लंघन है. शेख मुजीबुद्दीन खुद भी इसी दर्गा की संपत्ति में किराएदार है. किरायेदार की सूची में उसका क्रमांक ३८३ है.

फोटो: दरगाह हजरत जानुल्लाह शाह

*अदालत ने ७ मई २००४ को आदेश जारी कर खुद्दाम कमेटी को गैरकानूनी घोषित किया था.

इसके अलावा वक्फ ट्रिब्यूनल में दायर दावा क्रमांक १७/२००३ में अदालत ने ७ मई २००४ को आदेश जारी कर खुद्दाम कमेटी को गैरकानूनी घोषित किया था. जिसमें शेख मुजीब भी सदस्य रह चुका है. अब जिन लोगों की कमेटी का प्रस्ताव मंजूर हुआ है, उनमें से अधिकतर उसी गैरकानूनी खुद्दाम कमेटी में शामिल सदस्यों के बेटे है.

वक्फ बोर्ड ने पूरी तरह लापरवाही दशार्यी, निष्पक्ष छानबीन नहीं की है. प्रस्ताव को पारित करने में बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है. इससे पहले की खुद्दाम कमेटी ने सर्वे नंबर ३८० और २३९ में बड़ा घोटाला कर वक्फ की जमीन की गैरकानूनी खरीदी बिक्री १०० रुपए के बॉण्ड के आधार पर की गई है. दरगाह से सटे इस भूखंड पर आज दर्गा का कोई भी कार्य करने का अधिकारी नहीं रह गया है. इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होना जरूरी है. सीबीआई और ईडी द्वारा भी कार्रवाई करना जरूरी हो गया है. मामले से जुड़े संबंधित सभी लोगों पर ४२० का मामला दर्ज करने की मांग मो जावेद ने की.

* भूमाफियाओं ने अपने रसूख का उपयोग कर बोर्ड के सदस्यों के मार्फत इस फ्रॉड कमेटी को मान्यता दी है.

मो जावेद का कहना है कि जिस कमेटी को मंजूरी दी गई है उसके पीछे भू माफियाओं का गिरोह है. भूमाफियाओं ने अपने रसूख का उपयोग कर बोर्ड के सदस्यों के मार्फत इस फ्रॉड कमेटी को मान्यता दी है. कमेटी में शामिल लोगों को दरगाह के निजाम से कोई सरोकार नही है केवल वक्फ की संपत्ति पर ही इनकी नजर है.

खुद्दाम कमेटी को मंजूरी तो मिली है लेकिन चार्ज देने को लेकर आदेश में कहीं पर भी उल्लेख नही है. जबकि संबंधित लोग ताबा लेने की फिराक में है. यदि बिना पंचनामा किए, बिना ऑडीट किए, संबंधित सभी जरूरी दस्तावेजों की जांच पड़ताल और दरगाह की पूरी संपत्ति और सामान की गिनती के बगैर चार्ज दिया गया तो यह एक बड़ा अपराध होगा.

मोहम्मद जावेद