
बिना देरी किए लगाया जाए बच्चों को खसरे का टीका
* स्वास्थ्य विभाग ने की अपील
जालना: परिवार के 9 माह से 5 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को तुरंत खसरे का टीका लगवाने तथा अभियान को हर संभव तरीके से सहयोग करने की अपील जिला स्वास्थ्य विभाग ने की.
खसरा एक विषाणु से होने वाला संक्रामक रोग है. लेकिन यह एक टीके से रोकी जा सकने वाली बीमारी है. यह रोग मुख्य रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में होता है. इस रोग के प्रमुख लक्षण बुखार, खांसी, नाक बहना, आंखों में जलन, पहले चेहरे पर और फिर शरीर के बाकी हिस्सों पर लाल और चपटे दाने हैं. खसरा कुछ बच्चों में दस्त, मध्य कान के संक्रमण, निमोनिया, शायद ही कभी दौरे, अंधापन या मस्तिष्क के संक्रमण जैसी जटिलताओं का कारण बन सकता है. खसरा, रूबेला जैसे सभी रोग जो टीकाकरण से रोके जा सकते हैं, उनका नियमित रूप से सर्वेक्षण किया जाता है.

खसरा प्रभावित क्षेत्रों में कार्य की प्रगति का विवरण-
विटामिन-ए की खुराक दिए गए बच्चों की संख्या 50 (संदिग्ध खसरा रोगी) है. खसरा-रूबेला टीकाकरण सर्वेक्षण में 7905 बच्चे पाए गए जिनमें से 2638 को प्रथम खुराक दी गई तथा 4112 को टीका नहीं लगाया गया है. साथ ही 2197 बच्चों को दूसरी खुराक दी गई और 3793 बच्चों को टीका नहीं लगाया गया है.
जिले में 104 संदिग्ध मरीज और 5 खसरा ग्रस्त और एक रूबेला ग्रस्त है.
खसरा ग्रस्त बालकों में जालना के ३, बदनापुर और जाफराबाद में प्रत्येक एक बालक है. जबकि बदनापुर में एक रूबेला ग्रस्त बालक भी पाया गया है. कुल रोगियों की संख्या ६ है जिसमें से एक की भी मौत नहीं हुई है.
जिला स्तर पर खसरा रूबेला वैक्सीन का कुल स्टॉक 8045 है. खसरा प्रकोप रोकथाम एवं नियंत्रण उपायों के तहत जिला स्तरीय टास्क फोर्स कमेटी की नियमित समीक्षा बैठक आयोजित की जा रही है. निश्चित निदान वाले क्षेत्रों में घर-घर जाकर टीकाकरण किया जा रहा है. कुपोषित बच्चों को चिकित्सीय पोषण, विटामिन ए और खसरे के टीकाकरण की जानकारी दी जा रही है और उन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. घर-घर खसरे के मरीजों का सर्वे किया जा रहा है तथा टीकाकरण को लेकर जनजागृती की जा रही है.