मोबाइल का समस्त समाज पर होता है दुष्प्रभाव – डॉ प्रकाश आंबेकर

* जालना खंडाल शाखा की बैठक में  जागरूकता कार्यक्रम संपन्न  

जालना: महाराष्ट्र प्रदेश खंडाल विप्र संगठन, शाखा सभा जालना द्वारा 04 दिसंबर को यश डेंटल क्लिनिक,  बड़ी सड़क पर दोपहर 12:30 बजे सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया.   उक्त कार्यक्रम में मुख्य वक्ता  डॉ प्रकाश आंबेकर ने उपस्थित समाज के सदस्यों को मोबाइल फोन के दुष्प्रभाव और माता-पिता-बच्चे के बीच बातचीत के मुद्दे पर उत्कृष्ट मार्गदर्शन किया. उन्होंने कहा कि मोबाइल का समस्त समाज पर दुष्प्रभाव होता दिख रहा है. 

कार्यक्रम की शुरुआत भगवान परशुराम जी की प्रतिमा पर  माल्यार्पण कर की गई.   डॉ आंबेकर ने कहा कि मोबाइल बच्चों के लिए खतरनाक है, उन्हें मोबाइल की लत लग जाती है, और वे हमारे ध्यान से दूर हो जाते है. मोबाइल फोन से बच्चों में कई तरह की बीमारियां हो रही हैं. ऐसे में उन्हें कम उम्र में ही चश्मे की जरूरत पड़ जाती है क्योंकि बच्चे  फिजिकल एक्टिविटी से दूर होते जा रहे है. उन्हें सिरदर्द होता है, बच्चे चिड़चिड़े होते हैं. इसलिए माता-पिता उन्हें मोबाइल फोन न दें. लेकिन आज के युग में मोबाइल फोन के बिना शिक्षा अधूरी है, इसलिए यदि  बच्चों को मोबाइल फोन देना ही हो तो माता-पिता को यह तय करना चाहिए कि वे मोबाइल फोन का उपयोग कब तक करें, उन्हें इस पर ध्यान देना चाहिए. आज इंसान की जगह मोबाइल, इंटरनेट ने ले ली है. लोग एलेक्सा को सब कुछ बताकर उससे संवाद करते हैं, जिससे परिवार में आपसी  बातचीत कम हो गई है.

सोशल मीडिया के आज के युग में माता-पिता अपने बच्चों से संवाद नहीं कर पाते हैं, इसलिए बच्चे भी टीवी, मोबाइल, लैपटॉप और अन्य आधुनिक तकनीकों में शामिल हो जाते हैं और एक बुरे चलन की ओर बढ़ रहे हैं. माता-पिता को अपने बच्चों के साथ संवाद करना चाहिए. उन्हें समय देना समय की मांग है. माता-पिता अपने बच्चों की हर जिद को स्वीकार करने से बचें, उन्हें रोने दें, रोना भी एक अच्छा मानवीय गुण है, इस से फेफड़ों के रोग से बचे रहते हैं, कोरोना नहीं होता.

उन्होंने  कहा माता-पिता चार प्रकार के होते हैं एक सख्त माता-पिता, एक अनुशासनात्मक माता-पिता, एक पुलिसकर्मी की तरह, एक अदालत के न्यायाधीश या डॉक्टर की तरह. आपको यह पहचानना होगा कि आप इनमें से कौन से माता-पिता हैं.

अनाथालय में बच्चों का जन्मदिन मनाया जाना चाहिए. उन्हें खेत में ले जाओ, कैसे खेती करते हैं? अनाज कैसे उगाया जाता है? ऐसे प्रेरक प्रदर्शन दिखाकर उनके ज्ञान में वृद्धि करें. मोबाइल, टीवी देखते हूए भोजन करने से बचना चाहिए, हो सके तो पूरे परिवार को दिन में कम से कम एक बार एक साथ भोजन करना चाहिए. माता-पिता को अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से नहीं करनी चाहिए. यह आपके बच्चे को कमजोर महसूस कराता है. माता-पिता को अपने बच्चों की गलतियों पर गुस्सा नहीं करना चाहिए, उन्हें पीटना नहीं चाहिए, इसके विपरीत उन्हें अपनी गलतियों को सुधारने के लिए चेतावनी देनी चाहिए और उन्हें जागरूक करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी गलतियाँ नहीं होंगी, डॉ. प्रकाश आंबेकर ने समुदाय के लोगों को बेहतरीन तरीके से समझाया.

कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अध्यक्ष कैलाश खंडेलवाल, उपाध्यक्ष उमेश खंडेलवाल, सचिव महेश खंडेलवाल, कार्यकारी अध्यक्ष संतोष खंडेलवाल, कोषाध्यक्ष विशाल खंडेलवाल, कार्यक्रम के संयोजक डॉ नितिन खंडेलवाल, महिला अध्यक्ष  आरती खंडेलवाल ने परिश्रम किया.  कार्यक्रम का संचालन श्रेयश खंडेलवाल ने किया और आभार संतोष खंडेलवाल ने माना. 

फोटो: महाराष्ट्र प्रदेश खंडाल विप्र संगठन, शाखा सभा जालना द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मोबाइल के दुष्परिणामों को लेकर मार्गदर्शन कार्यक्रम संपन्न हुआ.