आपले सरकार एप पर नहीं हो रहा है शिकायतों का निराकरण

* संबंधितों को मैसेज शिकायत समझ नहीं आ रही है

जालना: जनता की छोटी – बड़ी समस्याओं का निराकरण करने के उद्देश्य से महाराष्ट्र सरकार द्वारा आपले सरकार नामक ऐप विकसित तो किया गया है लेकिन पिछले दो साल में ३० शिकायत करने के बावजूद इसमें से एक भी शिकायत का निराकरण नहीं किया गया. कई शिकायतों को बिना सूचना दिए ही क्लोज्ड करने के संदेश भी मिले. जिससे यह साफ है की केवल जनता को भ्रम में रखने के लिए ही इस तरह के उपक्रम चलाए जा रहे है.

अखिल भारतीय सूचना अधिकार कार्यकर्ता महासंघ के अध्यक्ष अजित दादा कोठारी ने बताया की पिछले दो साल में उन्होंने ३० शिकयतें की जिसमें से एक भी शिकायत का निराकरण नहीं किया गया. वास्तव में जालना से प्राप्त होने वाली शिकायतों का निराकरण करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है. लेकिन ऐप के जरिए की गई शिकायतों को लेकर एम के माध्यम से ही केवल संदेश भेजने के काम किए जा रहे है. इस मामले में एक सच्चाई यह भी है की अभी तक एप के जरिए प्राप्त शिकायतों में से ३० हजार शिकायतों निराकरण नहीं किया गया है. इस आपले सरकार उपक्रम को लेकर अब सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी जाएगी तथा संबंधीतों पर जनता को बेवकूफ बनाने को लेकर तथा सरकार के पैसे फिजूल खर्च करने के चलते मामले दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

फोटो: आपले सरकार पोर्टल पर इस तरह के मैसेज भेज कर प्राप्त शिकायतों से कन्नी काटने का प्रयास किया जा रहा है. 
* मामूली शिकायतों का भी नहीं हुआ निराकरण

अजितदादा कोठारी ने जो शिकायतें की थी उनमें जालना शहर के कुंडलिका नदी पात्र में हो रहे अवैध निर्माण कार्य, मंगल बाजार में सड़कों पर जो बाजार हाट के लिए जो जमीन उपलब्ध है उसपर गोबर डाल दिया गया है, एमआयडीसी में ट्रक ड्राइवरों के लिए शौचालय सुविधा, जालना शहर में नप द्वारा बनाए गए शौचालयों को निजी लोगों द्वारा लगाए गए ताले जैसी मामूली शिकायतों का भी निराकरण नहीं किया गया.

* शिकायत समझ में नहीं आने को लेकर भी केवल दिया संदेश
फोटो: अजितदादा कोठारी

एक शिकायत के जवाब में जो संदेश भेजा गया वो हास्यपद होने की बात अजितदादा कोठारी ने कही. उन्होंने कहा की नदी पात्र में हो रहे अवैध बांधकाम को लेकर शिकायत की गई थी. संबंधित इलाकों का भी पता पूरी तरह लिखकर दिया गया था. फिर भी शिकायत समझ में नहीं आने का संदेश दिया गया. यदि शिकायत समझ में ना भी आ रही हो तो प्रशासन का काम था की वे उनसे संपर्क करते तथा मौके पर पहुंच नदी में हो रहे बांधकाम को रोकने, साल भर पहले की गई शिकायत के बाद आज उस जगह पर बडी बडी इमारते खड़ी हो चुकी है. 

* अब जनहित याचिका दायर कर जनता को इंसाफ दिलाया जाएगा - कोठारी

अजितदादा कोठारी ने कहा की सरकारी कर्मचारी काम ही नहीं कर रहे है. जिस काम की जिम्मेदारी दी गई है इसको लेकर समय निकालने और टालमटोल करने का काम हो रहा है. तकनीकी के उपयोग से कार्यालय में बैठे बैठे ही संदेश भेजकर हाथ उठा लिए जा रहे है. यदि तकनीक से ही काम करना है तो कर्मचारियों को पगार देने की क्या जरुरत. इन लोगों पर वेतन का खर्च सरकार क्यों कर रही है? इस मामले में जनता को इंसाफ दिलाने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी.