
जिलाधिकारी को आज हाजीर रहना होगा मुंबई में लोकायुक्त के समक्ष
* जमीन नामांतरण प्रकरण में महसूल अधिकारियों द्वारा भेदभाव करने का मामला
जालना: अपने मातहत काम करने वाले लापरवाह अधिकारियों की गलतियों को लेकर अब आला अधिकारियों को जवाब देने की नौबत आन पडी है. शहर के मूर्ति बेस मामले में मुंबई में मानवाधिकार आयोग ने जालना जिलाधिकारी को तलब किया था अब एक अन्य मामले में शुक्रवार को जालना जिलाधिकारी सहित संबंधित अधिकारियों को मुंबई में लोकायुक्त ने तलब किया है.
खरेदी खत के आधार पर जमीन का हस्तांतरण मामले में महसूली अधिकारियों द्वारा किए गए भेदभाव के मामले में शुक्रवार को जिलाधिकारी को भी संबंधित अधिकारियों के साथ व्यक्तिगत रूप में उपस्थित रहने के निर्देश राज्य के लोकायुक्त तथा न्याय व्ही एम कानडे ने दिए है.

जालना तहसील के सावरगांव और सिंधी कालेगांव के मामले को लेकर कुसुम लोंढे और इंदूताई सुरडकर ने जालना के एड महेश धन्नावत और एड आरपी इंगले के मार्फत लोकायुक्त से शिकायत की थी. दोनों गांव के गट क्रमांक ८४,८५ तथा सिंधीकालेगांव के गट क्रमांक १६६ की जमीनी की खरीदी विक्री हुई थी लेकिन खरेदी खत के आधार पर नामांतरण करने में भेदभाव किए जाने की शिकायत की गई थी.
इस मामले में इसके पहले १२ अक्टूबर को मुंबई में लोकायुक्त कानडे के समक्ष प्राथमिक सुनवाई हो चुकी है. इसमें लोकायुक्त ने जालना उपविभागीय अधिकारी के साथ ही तहसीलदार को कारण बताओं नोटिस जारी करने के आदेश देते हुए जालना जिलाधिकारी को व्यक्तिगत रूप से सुनवाई में हाजिर रहने के निर्देश दिए थे तथा चार सप्ताह में मामले का पूरा आहवाल देने को कहा गया था. अब शुक्रवार को होने वाली सुनवाई की ओर सभी की नजर लगी हुई है.
* अर्ज करवाने की पद्धति भ्रष्टाचार को बढ़ावा - एड धन्नावत
इस संदर्भ में एड धन्नावत ने कहा की खरीदी खत पर जो नाम होते है उसी के अनुसार नामांतरण करने का नियम है. लेकिन महसूली अधिकारियों द्वारा नामांतरण के लिए अलग से अर्ज करने की नई पद्धति शुरू की गई है जिसका कोई नियम नहीं है.. यही अर्ज करने की पद्धति भ्रष्टाचार को बढावा दे रही है ऐसी गलत प्रथाओं को रोकना अब जरूरी हो गया है.
