
सार्वजनिक निर्माण विभाग ने निर्माण कार्य रोकने के दिए आदेश
* अनाधिकृत रूप से वक्फ संपत्ति पर योग भवन निर्माण प्रकरण
जालना: जालना शहर के मा फुलंब्रीकर नाट्यगृह के पास सर्वे नंबर २२८ पर वक्फ के भूखंड पर अवैध रूप योग भवन और वाचनालय निर्माण मामले के तूल पकड़ने के बाद गुरुवार को सार्वजनिक निर्माण विभाग के अभियंता ने तत्काल निर्माण कार्य बंद करवाकर इसका अहवाल देने का पत्र उप विभागीय अभियंता को सौंपा.
सर्वे नंबर २२८ को वक्फ की संपत्ति तथा अब्बासिया मस्जिद की इनामी जमीन संबंधी सभी दस्तावेज बताकर २९ नवंबर को महाराष्ट्र वक्फ मंडल ने जालना नगर पालिका को पत्र लिखकर इमारत को निष्कासित करने और संबंधीतों पर पुलिस में मामले दर्ज करने के निर्देश दिए थे. इस सूचना बोर्ड ने सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग को भी दी थी. जिसे लोकमत समाचार ने सुर्खियों में प्रकाशित किया था. इसके बाद आज कार्यकारी अभियंता ने उप विभागीय अभियंता को पत्र जारी कर तत्काल काम रुकवाकर इसका अहवाल देने को कहा.
* सरकारी खजाने से हो रहा था योग भवन का निर्माण
गौरतलब है की वक्फ की इनामी जमीन पर बिना वक्फ बोर्ड की इजाजत के योग भवन की आलीशान इमारत और वाचनालय का निर्माण कोई निजी व्यक्ति नहीं बल्कि सरकारी खजाने से सार्वजनिक बांधकाम विभाग की निगरानी में हो रहा था. मामला कोर्ट में पहुंचने के बाद उसे रोका गया था. करीब ५ करोड़ खर्च की योजना के तहत अब तक ३ करोड़ से अधिक का काम हो चुका है.
* काम बंद नहीं हुआ तो होगा अमरण उपोषण- मोहम्मद जावेद
इस मामले को अदालत पहुंचाने वाले दरगाह जान उल्लाह शाह बाबा के खादिम मोहम्मद जावेद मोहम्मद युसुफ का कहना है की इस मामले में पहले दिन से वक्फ बोर्ड के साथ ही सार्वजनिक बांधकाम विभाग और नप का रवैया नकारात्मक ही रहा है. वक्फ बोर्ड और नप को संबंधीत पर मामला दर्ज करना जरुरी था लेकिन जानबूझकर केवल इसलिए लिए मामले को नजरअनजाद किया जा रहा था क्योंकि इस काम को निधी केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने उपलब्ध कराई थी तथा यह काम केंद्रीय मंत्री के बेहद करीबी को मिला हुआ है. मामला अदालत में होने के कारण ही इन महकमों को बेमन से क्यों ना हो दस्तावेज काले तो करने पड़ रहे है. लेकिन यदि अब काम नहीं रुका तो वे आमरण उपोषण करेंगे. वक्फ की संपत्ति पर निजी लोग कब्जा कर रहे है अब तो सरकारी महकमे भी इसमें खुल कर भ्रष्ट नीति अपनाकर वक्फ को नुकसान पहुंचा रहे है. संबंधीतों पर गुनाह दर्ज करना जरूरी है.
