
आखिरकार योग भवन की विवादित निर्माणाधीन इमारत को निष्कासित करने के निर्देश जारी
* महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने जारी किया पत्र
* केंद्रीय मंत्री ने निर्माण के लिए पांच करोड़ की निधि उपलब्ध करवाई थी
जालना: जालना शहर में वक्फ संपत्ति पर अवैध निर्माण करने में भू माफियाओं के साथ ही सरकारी महकमा भी अग्रसर होने लगा है. ऐसा ही एक मामले में जालना शहर के सर्वे नंबर २२८ पर ५ करोड़ रुपए खर्च कर बनाए जा रहे योग भवन और वाचनालय की निर्माणाधीन इमारत को निष्कासित करने और संबंधीतों पर गुनाह दर्ज करने संबंधी पत्र महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने २९ नवंबर को जारी किया है. जिससे यह साफ है की सरकारी पैसों को बर्बाद करने का काम सरकारी अधिकारी और भ्रष्टाचारियों द्वारा हो रहा है. इस मामले को लोकमत समाचार ने समय समय पर सुर्खियों में प्रकाशित किया था.
* मामला अदालत में होने के बावजूद ठेकेदार ने दोबारा शुरू किया था काम
गौरतलब है की वर्ष २०१८ में योग भवन का काम शुरू किया गया था तथा मामले विवाद में पढ़ने के बाद जब ठेकेदार को महसूस हुआ की काम कहीं रुक ना जाए इसलिए उसने दोगुनी रफ्तार से काम करते हुए तीसरी मंजिल का भी काम शुरु कर दिया था. लेकिन २०१९ में इसपर अदालत ने स्टेटस को जारी किया था. सूत्रों की माने करीब ३ करोड रुपए का काम पूरा हो चुका है. बिल निकालने के उद्देश्य से तथा काम को पूरा करने की मंशा के तहत १५ दिन पहले ठेकेदार ने एक बार फिर चुपचाप तरीके से काम शुरु कर दिया था. लेकिन इस मामले को अदालत तक पहुंचाने वाले दरगाह जानुल्लाह शाह के खादिम मोहम्मद जावेद मोहम्मद युसुफ ने १५ नवंबर को वक्फ अधिकारी से शिकायत कर दी थी.

* ५ करोड़ की निधि करवाई गई थी मंजूर
गौरतलब है कि केंद्रीय रेल राज्यमंत्री सांसद रावसाहेब दानवे ने इस निर्माण के लिए सरकारी की तिजोरी से पांच करोड़ की निधी मंजुर करवाई थी. अब इसके निष्कासन से यह सारा पैसा अब बर्बाद हो जाएगा. जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह सरकारी महकमे की ही होगी.
* निष्कासित कर गुनाह दर्ज करने के निर्देश
महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने २९ नवंबर को जालना नप मुख्याधिकारी को पत्र लिखकर साफ शब्दों में दस्तावेज भी जोड़ते हुए कहा की जालना स्थित सर्वे नं. 228 का संपूर्ण भूखंड अब्बासिया मस्जिद की इनामी जमीन का हिस्सा है. जिसका उल्लेख महाराष्टÑ शासन के गजट में भी है. इससे पहले भी यहां हो रहे निर्माण को लेकर पत्र जारी हो चुके है. सरकारी दस्तावेजों पर भी साफ दर्ज है की भुखंड किसी भी हालत में हस्तातंरीत नही हो सकेगा तथा वर्ग दो के इस भुखंड के ७/१२ पर भी अब्बास मस्जिद का ही नाम है. यहां हो रहे निर्माण को लेकर वक्फ बोर्ड ने कोई एनओसी भी जारी नही की गई.
* नप को दिलाया गया उसके अधिकार का अहसास

वक्फ बोर्ड के पत्र में कहा गया है कि, महाराष्ट्र नगर परिषद को नगर पंचायत और औद्योगिक नगर अधिनियम, 1965 की धारा 189-ए और महाराष्ट्र क्षेत्रीय और शहरी नियोजन अधिनियम, 1966 की धारा 53 के तहत अनधिकृत निर्माण और संबंधित मुद्दों के खिलाफ अपराध दर्ज करने के अधिकारी है. इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर संबंधितों को ३ साल की सजा का भी प्रावधान है. इसलिए जालना नगर पालिका निर्माण को निष्कासित कर दोषियों के विरुद्ध मामला दर्ज करें. इस तरह का अवैध निर्माण वक्फ संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का गंभीर अपराध है जिसे रोका जाना जरूरी है. इस पत्र की प्रतिलिपि उपायुक्त सहित विविध सरकारी महकमों को भी दिए गए है.
* उप अभियंता की लापरवाही का आरोप
इस मामले को अदालत में पहुंचाने वाले मोहम्मद जावेद ने कहा की इस प्रकरण को लेकर अदालत ने जैसे थे का आदेश जारी किया था लेकिन फिर भी काम शुरू किया गया. जब इस मामले को लेकर सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग के अभियंता राहुल पाटील से बार बार संपर्क किया गया तो उनका कहना यही रहा कि मामले की जांच उप अभियंता नागरे को दी गई है. मोहम्मद जावेद का आरोप है की उपअभियंता नागरे इस मामले को लेकर लापरवाह है तथा उनके कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है. उन्हें वक्फ संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के गंभीर अपराध के बारे में शायद अभी कुछ पता ही है है.