मजाक बन गया कोरोना दंड वसूली प्रकरण!

* लेखाधिकारी ने आदेश मानने से कर दिया इनकार
* एक सेवक पर मामला दर्ज करने में नाकाम पालिका
* -- तब फिर चार दर्जन लोगों पर मामला दर्ज कैसे होगा ?

जालना: कोरोना काल में नियमों को भंग करने वाले नागरिकों से सड़क पर हिटलर बन वसूली गई राशि भ्रष्टाचारियों ने कार्यालय में जमा ना कर निजी तौर पर इसका उपयोग किया, कुछ ने तो बोगस पावती पुस्तक कार्यालय में जमा करवा दी, जबकि ५१ पावती पुस्तक अभी भी गायब है. १८ लाख रुपए जमा नहीं होने के कारण एक सेवक पर ठिकरा फोडकर उसपर मामला दर्ज करने के आदेश ६ दिन पहले मुख्याधिकारी ने निकाले तो थे लेकिन लेखाधिकारी ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया. ऐसा लग रहा है मानो यह पूरा मामला मजाक बनकर रह गया है. दिखावे की कार्रवाई कर केवल समय निकालने का प्रयास हो रहा है. 

* पहले दिन से ही नगर पालिका प्रशासन शक के घेरे में

एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमेटी के जिलाध्यक्ष साद बिन मुबारक ने इस मामले को लेकर ६ माह पहले सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी. उस समय उन्हें गलत जानकारी दी गई जिसके बाद उन्होंने अपील की जिसके बाद हुई सुनवाई में कई खुलासे सामने आए. मामले की जांच के लिए ऑडिट कराया गया जिसमें पता चला की ५१ पावती पुस्तक जमा नहीं होने के कारण उनका हिसाब पता नहीं है. जो पावती पुस्तक जमा हुई है उनमें से केवल २४ लाख रुपए जमा हुए है जबकि १८ लाख   रुपए जमा ही नहीं किए गए. जो राशि जमा हुई है वो भी जिस दिन दंड वसूला गया उसी दिन जमा होना जरुरी थी लेकिन शिकायत के बाद वसूली दस्त के लोगों ने इसे नियमों को ताक पर रखा बिना सरकारी चालान के ही जमा कर दिया. 

* एक सेवक को बनाया गया निशाना

इस पूरे मामले में जांच समिति की जांच के बाद भंडार गृह में कार्यरत सेवक संतोष अग्निहोत्री को पहले निलंबित किया गया बाद में उस पर मामला दर्ज करने को लेकर न प मुख्याधिकारी संतोष खांडेकर ने लेखाधिकारी प्रभाकर कालदाते के नाम पत्र जारी कर उन्हें इस मामले में सेवक अग्निहोत्री के विरुद्ध कदीम जालना पुलिस थाने में मामला दर्ज करने के निर्देश दिए है. 

* मामला दर्ज करने से किया इनकार   

इस पूरे मामले में अब एक नया मोड़ ले लिया है लेखाधिकारी का कहना है कि कार्यालय में उपमुख्याधिकारी भी है तथा कार्यालयीन अधीक्षक भी है तब फिर उन्हें मामला दर्ज करवाने को क्यों कहा जा रहा है? उनकी बात में सच्चाई भी नजर आ रही है. जब उनके ऊपर काम करने वाले मौजूद है तो मुख्याधिकारी भला उन्हें इस मामले में क्यों घसीट रहे है.

* बडी मछलियों को बचाने का षड्यंत्र

शिकायतकर्ता साद बिन मुबारक का कहना रहा है, मामले को रफा दफा करने के सारे प्रयास नाकाम होने के बाद मामला दर्ज करने का दिखावा किया जा रहा है. उनकी माने तो करीब १ करोड़ से अधिक के गबन का यह मामला है जिसे १८ लाख की वसूली तक सीमित किया गया है तथा अब मामला भी दर्ज करने में आनाकानी की भूमिका अपनाई जा रही है. इस मामले में केवल नप के ही दर्जन भर तथा पुलिस महकमे के दो दर्जन से अधिक और दो दर्जन शिक्षकों पर भी मामला दर्ज होना चाहिए क्योंकि इन लोगों में से कईयों ने आज तक हिसाब नहीं दिया, जिसने दिया वो भी नियमानुसार नहीं दिया गया, कईयों ने एक साल तक दंड वसूली की राशि का उपयोग खुद के लिए किया उसके बाद मामला उजागर होने पर पैसे जमा किए गए. उन्होंने कहा की इस मामले को लेकर अब वे शहर की जनता को साथ लेकर आंदोलन करेंगे.