आखिरत में सफलता के लिए शरीयत का पालन जरुरी – मुफ्ती महमूद अख्तर
* जालना में सुन्नी इजतेमा उत्साह के साथ संपन्न
जालना: दुनिया और आखिरत में सफलता प्राप्त करने के लिए परवरदिगार के हुक्म का पालन बेहद जरुरी है. पैगंबर मुहम्मद (सअ) ने हमें जो मार्ग बताया है वो हर मुश्किल में भी हमारे लिए कामयाब होने का रास्ता है. गौस ए आजम की शिक्षाओं से हमें यह बात मालूम होती है चाहे जो हो शरियत पर अमल करने से ही आखिरत में सफलता मिलती है. यह प्रतिपादन मुफ्ती महमूद अख्तर ने किया.
जमात रजा ए मुस्तफा द्वारा २० नवंबर की शाम को शहर के इमाम रजा चौक में आयोजित सुन्नी इजतेमा में मुफ्ती महमूद अख्तर (मुंबई)ने अपनी बात रखी.
उन्होंने आगे कहा की, हजरत गौस आजम (र. अ.) ने चालीस साल तक ईशा की नमाज के लिए किए गए वजू से ही सुबह फज्र की नमाज अदा की. पंद्रह साल तक उन्होंने एक ही रात में पूरे पवित्र कुरआन को मुकम्मल किया. उन्होंने अपने पूरे जीवन में शिक्षा हासिल करने तथा लोगों को सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करने का उपदेश दिया. मुफ्ती साहब ने आगे कहा की बुजुर्गाने दीन से प्यार करने और उनके तरीकों का पालन करने में ही निजात है. अल्लाह वालों से बिना वजह की दुश्मनी रखना बुग्ज है तथा इमान के लिए जहर है.

इस समय नागरिकों का मार्गदर्शन करते हुए मुफ्ती गुलाम नबी अमजदी ने कहा की हवा में उड़ने और पानी पर चलना जैसे कामों को सफलता मानना गलत है. सफल होने के लिए शरीयत पर मुकम्मल तौर पर अमल करते हुए अपने जीवन को दूसरों के लिए भी आदर्श बनाना जरूरी है. उन्होंने कहा की हजरत टीपू सुल्तान भी अल्लाह वाले थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन शरीयत के मुताबिक बिताया तथा अपनी सलतन में रहने वाले हर इंसान के लिए भलाई का काम किया. इसलिए जो लोग टीपू सुल्तान को अपना आदर्श मानते है उनके लिए भी जरुरी है की वो शरियत का पालन करें. सिर्फ नारेबाजी करना सफल होने का रास्ता नहीं है.
इस समय मौलाना अल्लाह बख्श अमजदी ने कहा की हम जिससे मोहब्बत करते है उसके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलते है. इसलिए यदि हम गौस आजम (र.अ.) से मोहब्बत रखते हैं, तो हमें भी गौस आजम (र.अ.) के तौर-तरीकों पर चलते हुए नियाज करना चाहिए, लेकिन किसी भी सूरत में नमाज नहीं छोड़ना चाहिए.
इस सुन्नी इजतेमा में बडी संख्या में लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. निजामत मौलाना अल्लाह बख्श अमजदी ने की. तहसीन रजा औरंगाबादी और हाफिज रेहान रजा नात और मनकबत प्रस्तुत किए. हाफिज जाकिर देउलगांव राजा, मौलवी अंसार, हाफिज फैयाज, सैयद इरफान, मुजाहिद सिद्दीकी, मुबशीर सिद्दीकी, वजाहत खान आदि अहल-ए-सुन्नत के नौजवानों ने इस इज्तेमा को कामयाब बनाने के लिए मेहनत की. इस कार्यक्रम के तहत सवाल-जवाब का दौर भी संपन्न हुआ. दुआ के बाद कार्यक्रम समाप्त किया गया.