
मुख्याधिकारी की लापरवाही पर नाराज हुआ मानवाधिकार आयोग
* खुद सर्वे करने के बजाए टेबल पर बैठ हो रहा है काम
* मूर्ति बेस प्रकरण
जालना: जालना शहर के मूर्ति बेस प्रकरण जब से मुंबई स्थिति मानवाधिकार आयोग के समक्ष चल रहा है तभी से आयोग जालना नगर पालिका और प्रशासन की कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी जता रहा है. १४ नवंबर को हुई सुनवाई में तो आयोग ने जालना न प मुख्याधिकारी को निशाने पर लेकर कहा की जिम्मेदार अधिकारी से इस तरह की उम्मीद बिलकुल भी नही थी.
* मूर्ति बेस मामले को लेकर हुई पिछली सुनवाई में आयोग ने प्रशासन को शहर के अन्य बेसों का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा था लेकिन न प मुख्याधिकारी ने वक्फ बोर्ड की रिपोर्ट का हवाला देकर अन्य तीन बेसों की स्थिति अच्छी होने का एफिडेविट दिया. इस पर आयोग ने मुख्याधिकारी को फटकार लगाते हुए कहा कि उनसे ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी. मुख्याधिकारी को स्वयं मौके पर पहुंच अपने स्तर पर जांच करने की जरुरत थी यहां मुख्याधिकार ने किसी दूसरे महकमें की रिपोर्ट को ही सही मान लिया.
* गौरतलब है कि इस मामले को आयोग तक पहुंचाने वाले एड महेश धन्नावत ने आयोग को बताया था की मूर्ति बेस के क्षतिग्रस्त होने के कारण जनता एक साल से परेशान है. शहर में और भी अन्य ऐतिहासिक बेस और स्मारक है. उनका भी सर्वे कर समय रहते जरूरी कदम उठाने की जरूरत है ताकि जनता को फिर दोबारा इस तरह की परेशानी से रुबरु ना होना पडे.
इसी को लेकर आयोग ने पिछली सुनवाई में प्रशासन से रिपोर्ट तलब की थी. १४ नवंबर को नप मुख्याधिकारी ने वक्फ बोर्ड द्वारा ७ नवंबर को दी गई रिपोर्ट का हवाला देकर आयोग को बताया की शहर में ऐसी अन्य तीन बेस है जिसकी स्थिति ठीक है. बस इसी पर बोर्ड नाराज हो गया. बोर्ड का कहना रहा की न प मुख्याधिकारी अपने स्तर पर जांच करवाए तथा रिपोर्ट दे.
* आयुक्त को अगले ४ सप्ताह में जरुरी रिपोर्ट देने की व्यवस्था करने के निर्देश
गौरतलब है की इस सुनवाई के दौरान औरंगाबाद विभागीय कार्यालय की उपायुक्त भी मौजूद थी. उन्हें नप मुख्याधिकारी की तरफ हुई लापरवाही को लेकर आयोग से इस कार्य के लिए समय की मांग करनी पडी. इसके बाद आयोग ने औरगंबाद आयुक्त कार्यालय को जरुरी सर्वे करने की व्यवस्था कर अगले ४ सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए.
* मालिकाना हक को बहस का मुद्दा नही बनाया आयोग ने

गौरतलब है की १० अक्टूबर को हुई पिछली सुनवाई में जालना जिलाधिकारी ने मूर्ति बेस के पास का अतिक्रमण तोडकर जनता के लिए रास्ता खोलने का कबूलनामा दिया था जिसे प्रशासन ने पुरा कर रास्ता खोल भी दिया. उस समय आयोग ने प्रशासन को फटकार लगाई थी की प्रशासन सारा ठिकरा वक्फ बोर्ड पर फोड़ रहा है लेकिन अभी तक भी उपरोक्त संपत्ती वक्फ बोर्ड के होने के दस्तावेज नहीं दिए. १४ नवंबर को हुई सुनवाई में आयोग का रुख इस मामले को लेकर नरम नजर आया. एड धन्नावत जो की सुनवाई के दौरान मौजूद थे ने बताया कि आयोग का कहना रहा कि अब जबकि रास्ता खुल गया है तो संपत्ति के मालिकाना हक के मुद्दे को लेकर बहस की यहां कोई जरुरत नही.