रेत माफिया के बजाए अब निर्माणकार्य मालिक होंगे टारगेट

* जालना तहसीलदार का अफलातूनी आदेश
* छापामार दस्ते में शामिल लोग पहले से ही जांच के कटघरे में

जालना: जालना शहर और तहसील में इन दिनों अवैध रेत को लेकर मामला गरमाने लगा है. रेत माफियाओं पर कार्रवाई करने के बजाए अब जालना तहसीलदार श्रीकांत भुजबल ने एक अफलातूनी आदेश जारी कर निर्माण कार्य के सामने पडी रेत की रसीद ना बताने वाले मालिकों पर ही कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए है. जिसको लेकर शहर में रोष व्याप्त है.
इस मामले को लेकर एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी के जालना जिलाध्यक्ष साद बिन मुबारक ने विभागीय आयुक्त, जालना जिलाधिकारी सहित अन्य महकों को शिकायती पत्र लिखने के साथ ही तहसील कार्यालय से सूचना के अधिकार के तहत यह आदेश किस कानून और नियम के तहत निकाला गया है इसकी जानकारी मांगी है.

* सबूत पेश करने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं

विभागीय आयुक्त को बताया गया की जालना में महसूल विभाग से जुड़े कई लोग रेत माफियाओं से सीधे तौर पर भ्रष्ट नीति से जुड़े होने संबंधी दर्जनभर सबूत और कॉल रेकॉर्डिंग पहले ही एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी ने संबंधित महकमों को दी है. जिसको लेकर प्रशासनिक स्तर पर भी कई निर्देश निकले है लेकिन अभी तक भी मामला जांच पर ही बताकर किसी भी अधिकारी पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई है.

* रेत माफियाओं को बचाने की साजिश

तहसीलदार ने विविध ६ दस्ते नियुक्ती किए है जो शहर में घूम कर निर्माण कार्य स्थल पर पड़ी रेत की रसीद मांगेंगे तथा रसीद न मिलने पर रेत जब्त कर निर्माण कार्य मालिक पर ही कार्रवाई की जाएगी. मजेदार तथ्य यह है की इन सभी ६ दस्ते के प्रमुख के रूप में जिस नायब तहसीलदार गणेश पोलास को नियुक्त किया गया है वो पहले से ही रेत माफियाओं से संबंध से जुड़े कई मामलों में जांच के घेरे में है.
वास्तव में सरकारी नियम में ऐसा प्रावधान नहीं है. जिस जगह से रेत का उत्खनन होता है तथा जिन वाहनों से रेत ढुलाई की जाती है उन पर कार्रवाई करना जरूरी है. एक सच्चाई यह भी है कि महसूल के संबंधित लोगों को इन रेत माफियाओं की पूरी जानकारी है तथा कुछ भ्रष्ट तो इस गोरखधंधे में इन लोगों के साथ मिले हुए है. अब अपने ही साथियों पर कार्रवाई करने के बजाए निर्माण कार्य करने वालों को निशाना बनाकर महसूल विभाग अपना उल्लू साधना चाहता है.

* बेबस हो जाएंगे निर्माण कार्य मालिक

गौरतलब है कि घर या अन्य निर्माण के लिए कर्ज उठाया जाता है घर के गहने बेचे जाते है जीवन भर जमा की गई पूंजी को इसपर खर्च किया जाता है. अब यदि इन लोगों को ही टारगेट बनाया जाएगा तो वे बेबस हो जाएंगे. दूसरा यह की रेत पट्टों को ठेके पर लेने वालों को रसीद दी जाती है. एक ही रसीद को दर्जनों पर रेत माफिया उपयोग में लाते है भला वे निर्माण कार्य करने वालों को यह रसीद क्यों देंगे.

* ये अधिकारी पहले से ही है जांच की रडार पर

गौरतलब है की जो ६ दस्ते बनाए गए है उन्हें नियुक्त अधिकारी पहले से जांच के फेरे में है अब ये लोग जब रेत माफियाओं पर कार्रवाई करने से बचना चाहते है इसलिए यह तुगलकी आदेश निकालने को लेकर शहर भर में चर्चा है. जिन लोगों की जांच चल रही है उनमें जालना के तत्कालीन तलाठी सैय्यद खालिद सैय्यद खलील, नायब तहसीलदार गणेश पोलास, तहसीलदार श्रीकांत भुजबल के नाम प्रमुख है. समय समय पर जालना जिलाधिकारी कार्यालय और विभागीय आयुक्त कार्यालय औरंगाबाद ने इनकी जांच के निर्देश दिए है. फरवरी २०२० में उपायुक्त पराग सोमन ने तो औरंगाबाद एण्टी करप्शन ब्यूरो को भी इस संदर्भ में पत्र लिखा है.