हड्डियों की बीमारियों को लेकर जांच शिविर संपन्न

हड्डियों की बीमारियों को लेकर जांच शिविर संपन्न

*संचेती अस्पताल पुणे मरीजों के लिए एक स्वास्थ्य प्रदाता है – हस्तीमल बंब


*मानव सेवा ही ईश्वर की सेवा – सतीश पंच

जालना: भारतीय जैन संघटना, व्यापारी महासंघ, कॅट व जनरल मर्चन्ट असोसिएशन जालना के सहयोग से भारत में प्रसिद्ध संचेती अस्पताल, पुणे के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा हड्डियों और रीढ़ की हड्डी नि: शुल्क जांच और निदान पर एक दिवसीय शिविर ३० अक्तुबर रविवार को जालना शहर के जैन भवन में उत्साह के साथ संपन्न हुआ.
जालना में आयोजित इस शिविर में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ पराग कांतिलाल जी संचेती की विशेषज्ञ टीम के डॉ निषाद सितूत, डॉ भूषण पाटिल, डॉ प्रतीक गुंडरे, डॉ विनीत बांगड, डॉ कोमल सिंग, डॉ निकिता बुधवाणी, तुषार काशिद और श्रीकांत कुलकर्णी सभी चिकित्सा सामग्री और मशीनरी के साथ पुणे से जालना पहुंचे तथा मरीजों की जांच की.
कार्यक्रम की शुरुआत नीता मुथ्था, मंजु कोटेचा, भारती मुथ्था, आनंदी अय्यर ने नमस्कार महामंत्र से की. इस समय संपूर्ण जांच टीम का स्वागत किया गया.

फोटो: जालना स्थित जैन भवन में रविवार को हड्डियों की बीमारियों को लेकर जांच शिविर संपन्न हुआ. जिसका लाभ २१८ मरीजों ने उठाया.

कार्यक्रम की प्रस्तावना करते हुए दिनेश राका ने कहा की शहरी और ग्रामीण भागों से आए मरीजों को आला दर्जे की स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से इस उपक्रम का आयोजन किया गया है.
शिविर का उद्घाटन करते हुए प्रदेश अध्यक्ष हस्तीमल बंम ने कहा कि संगठन द्वारा कई उपक्रम चलाए जा रहे है लेकिन स्वास्थ्य जांच का यह शिविर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आधुनिक और विशेषज्ञ तकनीक से जांच संभव है ताकि मरीज समय रहते जरूरी उपचार कर सके. इसमें पुणे के संचेती अस्पताल की टीम द्वारा मुफ्त सुविधाएं उपलब्ध कराना ताकी गरीबों और जरूरतमंदों को भी मदद मिल सके यह सोच काबिले तारीफ है तथा यह कहना गलत नहीं होगा की संचेती अस्पताल एक स्वास्थ्य प्रदाता है.
सतीश पंच ने कहा कि संचेती अस्पताल, पुणे का योगदान बहुत बड़ा है, इस तरह के शिविरों का आयाजेन करना समय की जरुरत है. उन्होंने कहा की मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है.
इस समय संतोष मुथा ने घोषणा करते हुए कहा कि अगला शिविर गुरु गणे मुथ्था अस्पताल में आयोजित किया जाएगा. इस शिविर में जोड़ों का दर्द, अवसरवादिता, जोड़ प्रत्यारोपण, कमर दर्द, अंगों, रीढ़ की हड्डी में झुनझुनी आदि को लेकर जांच कर जरुरी परामर्श दिया गया. पुरानी रोगों की जांच आधुनिक मशीनरी के माध्यम से की गई जिसमें कैल्शियम, फिजियोथेरेपी जांच, मार्गदर्शन और मार्गदर्शन किया गया.
इस शिविर में 218 रोगियों का उपचार किया गया. शिविर को सफल बनाने के लिए हस्तीमल बंब और सतीश पंच के मार्गदर्शन में अभय सेठिया, कैलास लुंगाडे, चेतन देसरडा, प्रवीण मोहता, दीपक मिश्रीकोटकर, शिखर चंद लोहाडे, नरेन्द्र जोगड, मकरंद सावजी ने परिश्रम किया.