कबड्डी एक बार फिर विश्व के लिए बना आकर्षण- घनश्याम गोयल

कबड्डी एक बार फिर विश्व के लिए बना आकर्षण- घनश्याम गोयल
* भारत के ग्रामीण इलाकों के खिलाड़ियों के लिए सुनहरा मौका


जालना: आज के इस दौर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले जाने वाले खेल भी काफी महंगे हो चले है. यही वजह है की खेल प्रतिभा को निखारने में काफी दिक्कत हो रही है. लेकिन भारत का अपना खेल कबड्डी मिट्टी पर खेला जाने वाला खेला है. इसमें खिलाड़ियों के असली दमखम की परीक्षा होती है. कम खर्चीला होने के कारण यह खेल एक बार फिर संपूर्ण विश्व का आकर्षण है. भारत के ग्रामीण इलाकों के खिलाड़ियों को इस मौके का पूरा लाभ उठाना चाहिए. यह प्रतिपादन जालना स्थित कालिका स्टील के संचालक घनश्यामदास गोयल ने किया.
मिशन 132 केवी के तहत शाम वसुंधरा फाउंडेशन द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र में कबड्डी प्रशिक्षकों के लिए आयोजित प्रशिक्षण शिविर का दौरा घनश्यामदास गोयल ने किया तथा प्रशिक्षकों से चर्चा करते हुए उन्हें बताया कि ग्रामीण इलाकों की खेल प्रतिभा निखारने में कबड्डी बड़ा योगदान निभा सकता है. इसलिए प्रशिक्षकों को चाहिए की वो ग्रामीण इलाकों की खेल प्रतिभा को निखारते हुए भारत को कबड्डी का सरताज बनाने का संकल्प करें.
इस समय अंकुशराव राऊत ने भी अपनी बात रखी. जबकि हेमंत ठक्कर ने कहा की देश के बडे उद्योग घरानों ने प्रो कबड्डी लीग मुकाबलों में निवेश किया है जिससे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा है तथा एक बार फिर कबड्डी का स्वर्ण काल होगा.
इस समय मनिषाताई पागव्हाणे ने शिविर में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षकों का मार्गदर्शन किया. इस समय बौद्धिक सत्र और मैदानी प्रॅक्टीस को लेकर भी मार्गदर्शन किया गया. सूत्रसंचालन संजय येलवंते ने किया तथा आभार प्रा सुभाष देठे ने माना.
इस अवसर पर सुषमाताई पायगव्हाणे, प्रशिक्षक बीजे पाटोले, संतोष नागवे, राजाभाऊ थोरात, रवी ढगे, अंबादास गीते, दिनेश वाघ, विठ्ठल दिवटे, प्रदीप राठोड, अमोल पवार, गोपाल पायगव्हाणे के साथ ही प्रशिक्षणार्थी उपस्थित थे. इस शिविर का समापन शुक्रवार को होगा.

फोटो: कबड्डी के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण शिविर में मार्गदर्शन करते हुए उद्योगपति घनश्याम गोयल.