
दिवाली के बाद अब जालना में छठ पूजा की तैयारियां प्रारंभ

- शहर के मोती तालाब पर दो दिन तक होगी धार्मिक गतिविधियां
- तैयारियों को लेकर उत्तर भारतीय संघ हुआ सक्रिय
जालना:
कोरोना प्रतिबंधित नियमों के कारण दो साल से मोती तालाब पर छठ पूजा को लेकर सामूहिक उत्सव नही हो सका था. इस बार लोगों ने दशहरा और दिपावली का त्योहार पूरे उत्साह के साथ मनाया. अब जालना शहर में रहने वाले उत्तर भारतीय लोगों के महापर्व छठ पूजा को लेकर तैयारियां प्रारंभ हो गई है.
इस संदर्भ में आज उत्तर भारतीय संघ द्वारा शहर के मोती तालाब पर इस उत्सव के लिए हमेशा की तरह जरूरी इंतेजाम और सुविधा उपलब्ध कराने तथा इस बार इसकी अनुमति देने की मांग को लेकर जालना जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, चंदनझिरा पुलिस थाने के साथ ही जालना नगर पालिका को भी पत्र दिया.
इस संदर्भ में उत्तर भारतीय संघ के संगठन मंत्री और प्रवक्ता शितल प्रसाद पाण्डेय ने बताया कि जालना शहर में उत्तर भारत के लोगों की संख्या काफी अधिक है. छठ पूजा का महापर्व जालना में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है. ४ दिन तक चलने वाले इस पर्व के दौरान महिलाएं और पुरुष विविध धार्मिक गतिविधियों को पूरा करते है.
छठ के पर्व को आस्था का महापर्व माना गया है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर छठी मैया की पूजा की जाती है. मान्यता है कि छठ पूजा करने वाले भक्तों को सुख-समृद्धि, धन, वैभव, यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है.कहते हैं जो महिलाएं यह व्रत रखती हैं उनकी संतानों को दीघार्यु और सुख समृद्धि प्राप्त होती है. इसके साथ यह व्रत करने से निरोगी जीवन का आशीर्वाद भी मिलता है.
छठ पर्व भारत के कुछ कठिन पर्वों में से एक है जो 4 दिनों तक चलता है. इस पर्व में 36 घंटे निर्जला व्रत रख सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. यह व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए भी किया जाता है. महिलाओं के साथ पुरुष भी यह व्रत करते हैं.
कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय होता है, इसके बाद दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है.
इस वर्ष छठ पूजा का प्रथम दिन नहाय- खाय: 28 अक्तूबर 2022, शुक्रवार को होगा. कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाए-खाए के रूप में मनाया जाता है. इस परंपरा के अनुसार सबसे पहले घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाता है. इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं.घर के अन्य सभी सदस्य व्रती सदस्यों के भोजन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं. नियम के अनुसार, इस दिन भात, लौकी की सब्जी और दाल ग्रहण किया जाता है और खाने में सिर्फ सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है.
छठ पूजा का द्वितीय दिन खरना- 29 अक्तूबर 2022, शनिवार को होगा. दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं और शाम को भोजन करते हैं. इसे ‘खरना’ कहा जाता है. खरना तिथि पर तन और मन के शुद्धिकरण पर ध्यान दिया जाता है.
छठ पूजा का तृतीय दिन 30 अक्तूबर रविवार को होगा. कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठ पूजा का मुख्य दिन माना जाता है. सायंकाल को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर जाते हैं. सभी छठव्रती तालाब या नदी किनारे सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं.
छठ पूजा के चौथे दिन 31 अक्टूबर सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य. चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले भक्त पानी में खड़े हो जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. अर्घ्य देने के बाद लोग प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करते हैं.
जालना में इस बार छठ पूजा महापर्व को पूरे उत्साह के साथ मनाना की तैयारियां उत्तर भारतीय संघ ने शुरू की है. इसके लिए अध्यक्ष सत्यजीत राय, सचिव एड आनंद झा, कोषाध्यक्ष डॉ शिव सहाय सिंह, उपाध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह, सह सचिव अजय कुमार यादव, उप कोषाध्यक्ष रविनंदन शुक्ला, संगठन मंत्री व प्रवक्ता शीतल प्रसाद पाण्डेय, सदस्य सुनील कुमार शुक्ला, धर्मेंद्र यादव, शंकर यादव, राजकुमार सिंह, वीरेंद्र सिंह, परशुराम उपाध्याय, अंगद प्रसाद तिवारी, शेख साहेबान के साथ ही रवि सिंह, उदय प्रताप सिंह, सुनील शर्मा, सुभाष राय, वंदेमातरम पाण्डेय, आकाश शर्मा, प्रकाश सिंह, मनोज चोयल, मनोज पासवान, अजीत सिंह, अभिमन्यु सिंह, संतोष राय, मनिष राठोड, विवेक सिंह, राणा गुप्ता, प्रविण साव, मनोज साव, अनिल शर्मा सहित समाज के युवक बडी संख्या में परिश्रम कर रहे है.